Ad

भाग-एक लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
भाग-एक लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, फ़रवरी 23, 2011

होली तो ससुराल की बाक़ी सब बेनूर सरहज मिश्री की डली,साला पिंड खजूर


होली तो ससुराल की बाक़ी सब बेनूर
सरहज मिश्री की डली,साला पिंड खजूर
साला पिंड-खजूर,ससुर जी ऐंचकताने
साली के अंदाज़ फोन पे लगे लुभाने
कहें मुकुल कवि होली पे जनकपुर जाओ
जीवन में इक बार,स्वर्ग का सुख पाओ..!!
#########
होली तो ससुराल की बाक़ी सब बेनूर
न्योता पा हम पहुंच गए मन में संग लंगूर,
मन में संग लंगूर,लख साली की उमरिया
मन में उठे विचार,चलॆ लें नयी बंदरिया .
कहत मुकुल कविराय नए कानून हैं आए
दो होली में झौंक, सोच जो ऐसी आए ...!!
#########
होली तो ससुराल की ,बाक़ी सब बेनूर
देवर रस के देवता, जेठ नशे में चूर,
जेठ नशे में चूर जेठानी ठुमुक बंदरिया
ननदी उमर छुपाए कहे मोरी बाली उमरिया .
कहें मुकुल कवि सास हमारी पहरेदारिन
ससुर “देव के दूत” जे उनकी पनिहारिन..!!
#########

सुन प्रिय मन तो बावरा, कछु सोचे कछु गाए,
इक-दूजे के रंग में हम-तुम अब रंग जाएं .
हम-तुम अब रंग जाएं,फाग में साथ रहेंगे
प्रीत रंग में भीग अबीरी फाग कहेंगे ..!
कहें मुकुल कविराय होली घर में मनाओ
मंहगे हैं त्यौहार इधर-उधर न जाओ !!

Ad

यह ब्लॉग खोजें

मिसफिट : हिंदी के श्रेष्ठ ब्लॉगस में