“हर पुरुष संभावित रेपिस्ट” : नंदिता दास का नज़रिया
“मेरी मर्जी” मैं ये करूं या वो करूं ........... ये सोचूँ या वो सोचूँ .......... ऐसे रहूँ या वैसे रहूँ सब कुछ मेरी मर्जी पर आधारित होना चाहिए . चलो माँ भी लिया जाए कि सबको अपनी अपनी निजता के साथ जीने का हक़ है . इसके मायने ये भी तो निकलते हैं कि हर किसी को भी हक़ है कि अनावश्यक रूप से कोई भी कुछ भी बोल के निजता पर आक्रामक हो जाए और उसे बलात्कारियों की कतार में बलात ला खड़ा करे ........... पता नहीं क्या हो गया है लोगों को कि वे अनाप-शनाप बोले जा रहे है . नंदिता जी के हालिया बयान ने सभी पुरुषों को यह कह कर बलात्कारियों की कतार में खड़ा कर दिया है कि –“ हर पुरुष संभावित रेपिस्ट ” है . एक अजीब सी बेचेनी नज़र आ रही है सैलीब्रिटीज़ के विचारों में सभी आदिम स्वतन्त्रता के पक्षधर हो रहे है . मुझे अपने कालेज के दिन याद आ रहे हैं प्रोफ़ेसर स्वर्गीया राजमती दिवाकर कहा करतीं थीं –“वक्तव्य देना जीभ को तालू से मिला कर या हटा कर शब्द पैदा कर देना नहीं है .......... तुम्हारे दिमाग से शरारती जीभ नियंत्रित रहे वरना तुम्हारा वक्तव्य तुम्हारे दिमाग पर हथौड़े चलाएगा ! 5 मिनट तक तुमको कुछ कहना है तो त