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सन्नाटा...ख़ामोशी के संग

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सन्नाटा बैठा हुआ .लिये..ख़ामोशी के संग . तय मानो नज़दीक है.. सोच सोच में जंग सोच सोच हो जंग, तभी सूरत बदलेगी गुमसुम आंखों की, बाहें युद्ध की ख़ातिर मचलेगीं कहें मुकुल कवि, युद्ध सदा बरकाओ कानन देखी नाय, आंख से सब पढ़ आओ..!! ******************** ऊसर बोई आस्था,  हरियाए हर बाग, स्वेद बूंद से जागते-अपने अपने भाग. अपने-अपने भाग जगा के सब केऊ जागौ. मीत अकारथ इतै उतै नै भागो. कहैं मुकुल कविराय छोड़ दो आपा धापी एक साध लौ आप सधैगी दुनियां बाक़ी..