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फुरुषोत्तम

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किस किस को सोचिए किस किस को रोइए आराम बड़ी चीज है , मुंह ढँक के सोइए ....!! " जीवन के सम्पूर्ण सत्य को अर्थों में संजोए इन पंक्ति के निर्माता को मेरा विनत प्रणाम ...!!'' आपको नहीं लगता कि जो लोग फुर्सत में रहने के आदि हैं वे परम पिता परमेश्वर का सानिध्य सहज ही पाए हुए होते हैं। ईश्वर से साक्षात्कार के लिए चाहिए तपस्या जैसी क्रिया उसके लिए ज़रूरी है वक़्त आज किसके पास है वक़्त पूरा समय प्रात: जागने से सोने तक जीवन भर हमारा दिमाग,शरीर,और दिल जाने किस गुन्ताड़े में बिजी होता है। परमपिता परमेश्वर से साक्षात्कार का समय किसके पास है...? लेकिन कुछ लोगों के पास समय विपुल मात्रा में उपलब्ध होता है समाधिष्ठ होने का । इस के लिए आपको एक पौराणिक कथा सुनाता हूँ ध्यान से सुनिए एकदा -नहीं वन्स अपान अ टाइम न ऐसे भी नहीं हाँ ऐसे "कुछ दिनों पहले की ही बात है नए युग के सूत जी वन में अपने सद शिष्यों को जीवन के सार से परिचित करा रहे थे नेट पर विक्की पेडिया से सर्चित पाठ्य सामग्री के सन्दर्भों सहित जानकारी दे रहे थे " सो हुआ यूँ कि शौनकादी मुनियों ने पूछा -