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9.8.21

पेड़ों को राखी बाँधे हम इस रक्षाबंधन पर

#सप्तसूत्रीय_रक्षाबंधन पर्यावरण की जागरूकता के लिए
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आयोजन का नाम
#सप्तसूत्रीय_रक्षाबंधन 
दिनांक 22 अगस्त 2021
स्थान आपके द्वारा चिन्हित कोई भी स्थान
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आपसे अनुरोध है कि दिनांक 22 अगस्त 2021 को रक्षाबंधन के अवसर पर सात रंग के रेशमी अथवा सूती धागों से एक राखी बनाकर कम से कम एक वृक्ष को अवश्य बांधने का कार्य कीजिए। यह राखी पर्यावरण के प्रति जागरूकता तथा ऑक्सीजन देने वाले पेड़ों के लिए हमारा आभार व्यक्त करने का एक तरीका होगा । 
तथा #सप्तसूत्रीय_रक्षाबंधन लिख कर अपना वीडियो या सेल्फी वीडियो, अथवा सेल्फी फोटो विभिन्न सोशल मीडिया माध्यम पर पोस्ट कीजिए। इस आह्वान को जन जन तक पहुंचाइए 
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भारतीय दर्शन एवं सनातन संस्कृति  में 7 का बड़ा  महत्व है। उदाहरण के तौर पर
रेशम के सात रंगों के सूत्र से बना रक्षा सूत्र पृथ्वी की भौगोलिक अवस्था में भारत जिसे सप्तसेंधव कहा है, वैदिक सात-ऋषि एवं तारामंडल के सप्तऋषि, सूर्य की सप्त रश्मियां जिन्हें हम सूर्य के साथ घोड़े कहते हैं, सामवेद अनुसार सप्तस्वर , तारसप्तक, सतरंग, सातदिन,  का बोध देने वाली रक्षा बंधन का आव्हान है। 
  रक्षाबंधन एक आध्यात्मिक पर्व है। यह केवल भाई बहनों के लिए ही नहीं बल्कि उन सबके प्रति विश्वास पैदा करने वाला पर्व है जो रक्षक के रूप में चिन्हित होते हैं । जैसे राजा देवता शस्त्र घर पति पत्नी आदि। परंपराओं के अनुसार रक्षाबंधन राजा को पुरोहित द्वारा यजमान के ब्राह्मण द्वारा, भाई के बहिन द्वारा और पति के पत्नी द्वारा दाहिनी कलाई पर किया जाता है। संस्कृत की उक्ति के अनुसार
जनेन विधिना यस्तु रक्षाबंधनमाचरेत। स सर्वदोष रहित, सुखी संवतसरे भवेत्।।
अर्थात् इस प्रकार विधिपूर्वक जिसके रक्षाबंधन किया जाता है वह संपूर्ण दोषों से दूर रहकर संपूर्ण वर्ष सुखी रहता है। रक्षाबंधन में मूलत: दो भावनाएं काम करती रही हैं। प्रथम जिस व्यक्ति के रक्षाबंधन किया जाता है उसकी कल्याण कामना और दूसरे रक्षाबंधन करने वाले के प्रति स्नेह भावना। इस प्रकार रक्षाबंधन वास्तव में स्नेह, शांति और रक्षा का बंधन है। इसमें सबके सुख और कल्याण की भावना निहित है। सूत्र का अर्थ धागा भी होता है और सिद्धांत या मंत्र भी। पुराणों में देवताओं या ऋषियों द्वारा जिस रक्षासूत्र बांधने की बात की गई हैं वह धागे की बजाय कोई मंत्र या गुप्त सूत्र भी हो सकता है। धागा केवल उसका प्रतीक है।
रक्षासूत्र बाँधते समय यह श्लोक भी पढ़ने की परम्परा है.....
ओम यदाबध्नन्दाक्षायणा हिरण्यं, शतानीकाय सुमनस्यमाना:। तन्मSआबध्नामि शतशारदाय, आयुष्मांजरदृष्टिर्यथासम्।। 
कोविड-19 के दूसरे दौर में हमें ऑक्सीजन का संकट हुआ है। और वर्तमान में ऑक्सीजन का संकट संपूर्ण पृथ्वी पर छाया हुआ है। पृथ्वी में ऑक्सीजन की मात्रा धीरे धीरे कम हो रही है। इसका मूल कारण है कि हम प्रकृति के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं। वनों का कम होना ऑक्सीजन की कमी का मुख्य आधार है। आइए इस वर्ष हम इसे एक ऐसे संस्कार के रूप में अपने मस्तिष्क में सम्मिलित करने का प्रयास करेंगे कि हम  जंगल और वृक्ष के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त करें। इस वर्ष 22 अगस्त 2021 को रक्षाबंधन का यह पवित्र धार्मिक आध्यात्मिक एवं सामाजिक पर्व है। इस दिन हमें केवल सात रंगों के रेशमी अथवा सूती धागों से रक्षाबंधन तैयार करना है। इसका आकार घर में लगी तुलसी अथवा किसी भी उपयुक्त पेड़ के अनुकूल होना चाहिए। ऐसे *सप्तसूत्रीय रक्षाबंधन* को हम सबसे पहले अपने आराध्य को चढ़ाने के बाद पौधों वृक्षों को जाकर बांधे। यह कोई कठिन कार्य नहीं है बल्कि यह कार्य एक संदेश देगा कि हम पर्यावरण और पर्यावरण संरक्षण के प्रति मानसिक रूप से समर्पित हैं। तो आइए इस सामाजिक आध्यात्मिक एवं धार्मिक इवेंट को बनाए तथा वृक्ष या पौधे को रक्षाबंधन बांधते हुए अपनी फोटो अथवा वीडियो अपने सोशल मीडिया आईडी जैसे फेसबुक टि्वटर इंस्टाग्राम यूट्यूब कू लिंक्डइन आईडी से #सप्तसूत्रीय_रक्षाबंधन के साथ प्रस्तुत करें। यह कार्य ना तो कठिन है नाही वर्जित है। किसी भी संप्रदाय के लोग भी जो पेड़ और पर्यावरण के प्रति आस्थावान है वे स्वैच्छिक रूप से यह कार्य कर सकते हैं। बच्चों बुजुर्गों भाइयों बहनों अथवा कोई भी व्यक्ति इस कार्य को सकते हैं।

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