राज का काज
सरकारी महकमों में अफ़सरों को काम करने से ज़्यादा कामकाज करते दिखना बहुत ज़रूरी होता है जिसकी बाक़ायदा ट्रेनिंग की कोई ज़रूरत तो होती नहीं गोया अभिमन्यु की मानिंद गर्भ से इस विषय की का प्रशिक्षण उनको हासिल हुआ हो. अब कल्लू को ही लीजिये जिसकी ड्यूटी चतुर सेन सा’ब ने "वृक्षारोपण-दिवस" पर गड्ढे के वास्ते खोदने के लिये लगाई थी मुंह लगे हरीराम की पेड़ लगाने में झल्ले को पेड़ लगने के बाद गड्डॆ में मिट्टी डालना था पानी डालने का काम भगवान भरोसे था.. हरीराम किसी की चुगली में व्यस्तता थी सो वे उस सुबह "वृक्षारोपण-स्थल" अवतरित न हो सके जानतें हैं क्या हुआ..? हुआ यूं कि सबने अपना-अपना काम काज किया कल्लू ने (गड्डा खोदा अमूमन यह काम उसके सा’ब चतुर सेन किया करते थे), झल्ले ने मिट्टी डाली, पर पेड़ एकौ न लगा देख चतुर सेन चिल्लाया-"ससुरे पेड़ एकौ न लगाया कलक्टर सा’ब हमाई खाल खींच लैंगे काहे नहीं लगाया बोल झल्ले ? " हरीराम को यह करना था झल्ले बोला:-"सा’ब जी हम गड्डा खोदने की ड्यूटी पे हैं खोद दिया गड्डा बाक़ी बात से हमको का ?"