एक भोर जो बदल देती है सोचने का अंदाज़
महिता आरक्षण बिल के पारित होने का हर्ष इस कविता में आज की भोर का अभिवादन करती हिन्दुस्तान की आधी आबादी को हार्दिक शुभ कामनाएँ एक भोर जो बदल देती है सोचने का अंदाज़ जब ले आती है साथ अपने परिवर्तन के सन्देश प्रतिबंधित/विलंबित स्वपनों को देखने के आदेश सच कितनी बाधाएं आतीं हैं सांस लेने के अधिकार को अनुमति मिलने में ? ************************** आज शक्ति को शक्ति मिल ही गई हाँ आज की भोर अखबारों के माथे पर हमारी जीत का गीत लिख कर लाई है हमारी सोच ने नई उंचाइयाँ पाई हैं ! मन कहता है......... अभी तो ये ............................ [चित्र साभार चित्र एक : दैनिक भास्कर ]