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ईश्वर का आंसू : हीरा

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#Diamond #Gods, #tears , #Greek #Civilization, , हीरा एक ऐसा कार्बनिक पदार्थ है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता की वजह से बहुमूल्य रत्न होने के दर्जे पर सदियों से कायम है। प्राचीन यूनानी सभ्यता ने हीरे को उसकी पवित्रता को और उसकी सुंदरता को देखते हुए ईश्वर के आंसू तक की उपमा दे दी है ।     विश्व में भारत और ब्राज़ील के अलावा अमेरिका में भी हीरे का प्राकृतिक एवं कृत्रिम उत्पादन किया जाता है। भारत के गोलकुंडा में सबसे पहले हीरे की खोज की गई थी और वह भी 4000 वर्ष पूर्व। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान  ही भारत भारत का कोहिनूर हीरा ब्रिटिश खजाने में जा पहुंचा था। जी हां मैं उसी कोहिनूर हीरे की बात कर रहा हूं जो महारानी के मुकुट  में लगा हुआ है वह हीरा गोलकुंडा की खदान से ही हासिल किया गया था। भारत में उड़ीसा छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में हीरे की मौजूदगी है। सबसे ज्यादा मात्रा में इस रत्न की मौजूदगी मध्य प्रदेश में है। अगर बक्सवाह कि हीरा खदानों ने काम करना शुरू कर दिया तो विश्व में भारत हीरा उत्पादन में श्रेष्ठ  स्थान पर होगा। एक अनुमान के मुताबिक रुपए 1550 करोड़ वार्षिक राजस

सॉफ्ट पावर की ताकत मध्यमवर्ग ने बढ़ाई है..!

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भारत के मध्यम वर्ग की ताकत ने ने किया है भारत को गौरवान्वित  अमेरिकी उपराष्ट्रपति एवं यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री भी भारतीय मूल के हैं ।  यह तो पॉलिटिकल स्टेटस प्राप्त करने वाले भारतीय मूल के लोग हैं इसके अतिरिक्त विश्व के बड़े अंतरराष्ट्रीय कंपनीयों एवं उद्योग घरानों में भारतीय मूल के लोगों की मौजूदगी भारत को गौरव प्रदान करती है। अमेरिका में होने जा रहे 2025 के आम चुनाव में राष्ट्रपति के तौर पर जिस नाम का जिक्र हो रहा है उन्हें विवेक रामास्वामी कहते हैं। विवेक रामास्वामी एक भारतीय मूल के अमेरिकन बिजनेसमैन हैं।   ऐसी क्या बात है भारतीयों में जो उन्हें अन्य लोगों से खास बनाती है? इस बात की पड़ताल करें तो पता चलता है कि- [  ] दक्षिण एशियाई मूल के सभी नागरिक बेहद मेहनती है तथा ईमानदार भी। विशेष रूप से भारतीय डायस्पोरा ने यूरोपीय देशों में अपना खास स्थान बना रखा है। [  ] भारतीय मूल के लोगों में ज्ञान के साथ कार्यक्षमता और उनका पूछ राष्ट्र के प्रति सकारात्मक रवैया विश्व को प्रभावित एवं आकर्षित करता है। [  ] भारतीयों की विशेषता है कि वह देश काल परिस्थिति के अनुसार स्वयं को अन

गुमशुदा चारपाई उर्फ खटिया : योगेश उपाध्याय

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चारपाई यानी खटिया का  कमर दर्द, सर्वाइकल और चारपाई... के बीच एक गहरा संबंध है। संबंध तो किसी किसी  दुराचरी दुष्ट से भी है जिसकी खटिया खड़ी हो जाती है या कर दी जाती है .. आइए जानते हैं खटिया के गुण  योगेश उपाध्याय जी  से...    हमारे पूर्वज वैज्ञानिक थे..सोने के लिए खाट हमारे पूर्वजों की सर्वोत्तम खोज है। हमारे पूर्वज क्या लकड़ी को चीरना नहीं जानते थे ? वे भी लकड़ी चीरकर उसकी पट्टियाँ बनाकर डबल बेड बना सकते थे। डबल बेड बनाना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। लकड़ी की पट्टियों में कीलें ही ठोंकनी होती हैं। चारपाई भी भले कोई साइंस नहीं है, लेकिन एक समझदारी है कि कैसे शरीर को अधिक आराम मिल सके। चारपाई बनाना एक कला है। उसे रस्सी से बुनना पड़ता है और उसमें दिमाग और श्रम लगता है। जब हम सोते हैं, तब सिर और पांव के मुकाबले पेट को अधिक खू'न की जरूरत होती है। क्योंकि रात हो या दोपहर में लोग अक्सर खाने के बाद ही सोते हैं। पेट को पाचनक्रिया के लिए अधिक खून की जरूरत होती है। इसलिए सोते समय चारपाई की जोली ही इस स्वास्थ का लाभ पहुंचा सकती है।दुनिया में जितनी भी आरामकुर्सियां देख लें, सभी में चारप

पाकिस्तान में अधिकार सम्पन्न महिलाएं

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 "अधिकार संपन्न कलस जनजाति की महिलाएं...!" पाकिस्तान में महिला अधिकारों को लेकर हम सब केवल इतना जानते हैं कि वहां महिलाओं को अधिकार नहीं है। परंतु हिंदूकुश पर्वत माला में निवास कर रही कलस जनजाति जिसकी जनसंख्या 2018 के मुताबिक केवल 4000 थी जो अब बढ़कर लगभग 6000 है। कलस जन जाति में महिलाओं की स्थिति पाकिस्तान के अन्य स्थानों की अपेक्षा बेहतर है। यह जनजाति अफगानिस्तान पाकिस्तान सीमा पर कैलाश वैली के नाम से प्रसिद्ध है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा राज्य के चितराल जिले बुमबुरेत,रूमबुर,बिरर, नामक स्थानों में  कलस जनजाति निवास करती है। अफगानिस्तान में नूरिस्तानी जनजाति भी इसी जनजाति की एक शाखा है। कलस जनजाति महिला प्रधान जनजाति है जहां किसी की मृत्यु पर एक अजीबो गरीब रस्म भी अदा की जाती है। पाकिस्तान में इस जनजाति को काफिर माना जाता है। इस जनजाति में मृत्यु के समय मृत्यु भोज के रूप में बकरियों की बलि देकर अधिक से अधिक दूरदराज के गांवों मैं रहने वाले लोगों को खिलाया जाता है। जनजाति के लोगों का मानना है कि वह किसी को भी हंसी खुशी के साथ विदा करने पर विश्वास रखते ह

मानवता के आइकॉन कलैक्टर टी अंबाजगेन : श्री महेन्द्र शुक्ला की फेसबुक पोस्ट

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टी अंबाजगेन कलेक्टर साहब ,धन्य है वे माता-पिता  जिन्होंने इन्हे मानव सेवा के संस्कार दिए .! 80 साल की बूढ़ी माता घर में बिल्कुल अकेली। कई दिनों से भूखी। बीमार अवस्था में पड़ी हुई। खाना-पीना और ठीक से उठना-बैठना भी दूभर। हर पल भगवान से उठा लेने की फरियाद करती हुई .!  खबर तमिलनाडु के करूर जिले के कलेक्टर टी अंबाजगेन के कानों में पहुंचती है। दरियादिल यह आइएएस अफसर पत्नि से खाना बनवाते है फिर टिफिन में लेकर निकल पड़ते है, वृद्धा के चिन्नमालनिकिकेन पट्टी स्थित झोपड़ी में .! जिस बूढ़ी माता से पास-पड़ोस के लोग आंखें फेरे हुए थे, कुछ ही पल में उनकी झोपड़ी के सामने जिले के सबसे रसूखदार अफसर मेहमान के तौर पर खड़ा नजर आता है .!  वृद्धा समझ नहीं पातीं क्या मामला है डीएम कहते हैं-माता जी आपके लिए घर से खाना लाया हूं, चलिए खाते हैं .! वृद्धा के घर ठीक से बर्तन भी नहीं होते तो वह कहतीं हैं साहब हम तो केले के पत्ते पर ही खाते हैं। डीएम कहते हैं-अति उत्तम। आज मैं भी केले के पत्ते पर खाऊंगा .!  किस्सा यही खत्म नहीं होता चलते-चलते डीएम वृद्धावस्था की पेंशन के कागजात सौंपते हैं। कहते हैं कि आप

Rise To Legendary by Aryaa Pandey | Motivational Rap | Alfaaz : Kuch Ankahey Jazbaat

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आर एल वी का परीक्षण कर इसरो ने भारत को गौरवान्वित किया था

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* चंद्रयान 3 लॉन्चिंग के पहले आर एल वी का परीक्षण कर इसरो ने भारत को गौरवान्वित किया* *गिरीश बिल्लौरे मुकुल* इन दिनों chandrayaan-3 चर्चा में है इसके पूर्व सबसे कम खर्च पर मंगल की भूमि पर यान पहुंचाकर इसरो ने विश्व को चकित कर दिया था। आप भी चकित हो जाएंगे यह जानकर कि एक और कारण है जो इसरो को यशस्वी बनाता है । जी हां 2 अप्रैल 2023 प्रातः 7:15 पर इसरो ने एक प्रयोग किया।  जो री यूजेबल लॉन्च व्हीकल RLV के नाम से जाना जाता है, को सफलतापूर्वक आकाश से जमीन पर उतारा। यद्यपि इस तरह का प्रयोग एलन मस्क ने नासा के सहयोग से 2018 में कर दिया था।   भारत के इसरो ने यह प्रयोग इस उद्देश्य से किया है ताकि  भारत द्वारा भेजे गए एसएलवी रॉकेट का कचरा अंतरिक्ष में बेकार न जाए। भारत के इसरो ने   एक प्रोटोटाइप लॉन्चिंग व्हीकल को कर्नाटक के चित्रदुर्ग नामक स्थान से 2 अप्रैल 2023 प्रातः 7:15 पर आकाश में चिनूक हेलीकॉप्टर के माध्यम से भेजा। यह प्रयोग  डीआरडीओ भारतीय एयर फोर्स कब संयुक्त प्रयोग था।   आपने चंद्रयान में दो साइड बूस्टर देखे होंगे इन बूस्टर्स का कार्य है मुख्य रॉकेट एवम उस पर लगे यंत्र