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पद-जात्रा

सर्किट - हाउस अध्याय दो   Novel By :-Girish Billore Mukul,969/A-II,Gate No.04 ,Jabalpur M.P.                  जुगाड़ , इंतज़ाम , व्यवस्था , कानून की ज़द में न हो तो भी क़ानून की ज़द में लाकर करो यही है सरकारी चाकरी का सूत्र हैं. इन सूत्रों का प्रयोग करते  जाइये नौकरी करते जाइये.  ये शिक्षा दे रहे थे तहसीलदार जो अपने समकक्ष अधिकारीयों को अधीनस्त समझते थे,राजस्व विभाग के ये साहब अपने आप को सरकार की सगी औलाद और अन्य विभाग के अफ़सरों और कर्मचारियों को सरकार की सौतेली औलाद मानने वाले ये तहसीलदार साब तो क्या इनका रीडर भी अपने इलाके के अन्य विभागों को अपनी जागीर मानता है .इसी बातचीत के दौरान टेबल पर रखा फ़ोन मरघुल्ली आवाज़ में कराहा. बड़े घमंड से फ़ोन उठाया गया यस सर ,जी सर, ओ के सर , और फ़िर सर सर ! जी इसके अलावा किसी ने कुछ नहीं सुना. फ़ोन बंद करके तहसीलदार बोला - सी०एम सा ’ ब हैलीकाप्टर से इसी हफ़्ते भ्रमण पर हैं . एस०डी०एम० सा ’ ब मीटिंग लेंगें आप आ जाना गुरुवार को  . बी०डी०ओ० बोला : जी , ज़रूर  बाकियों ने हां में हां मिलाई. चाय-पानी के बाद सभा बर्खास्त हो गई. पौने पांच