पता नहीं बांछैं होतीं कहां हैं पर खिल ज़रूर जातीं हैं
पुरातत्व विषाधारित ब्लाग लेखक ललित शर्मा की प्रसन्नता का अर्थ मूंछों के विस्तार से झलकी तो लगा कि बांछैं यानी मूंछ हर कोई कहता फ़िरता है भई क्या बात है मज़ा आ गया उसे उसने सुना और उसकी बांछैं खिल गईं. " बांछैं" शब्द का अर्थ पूछियेगा तो अच्छे अच्छों के होश उड़ जाते हैं . अर्थ तो हमको भी नहीं मालूम रागदरबारी का एक सँवाद जो हमारे तक हमारे श्री लाल शुक्ल जी ने व्हाया मित्र मनीष शर्मा के भेजा की " बाछैं शरीर के किस भाग में पाई जातीं हैं. पर इस बात से सहमत नज़र आते हैं कि बाछैं खिलती अवश्य हैं. यानी कि जब वो नहीं जानते तो किसी और के जानने का सवाल ही नहीं खड़ा होता ". इसका अर्थ तपासने जब हम गूगल बाबा के पास गये तो हिंदी में लिख के सर्च करने पर गूगल बाबा ने हमको ठैंगा दिखा दिया. तब हमने प्रसन्नता के लिये इमेज सर्च की तो पाया कि पुरातत्व विषाधारित ब्लाग लेखक ललित शर्मा किन्ही महाशय के साथ हंस रहें हैं. तो हम समझ गये कि बांछौं का अर्थ मूंछ होता है . किंतु दूसरे ही छण याद आया कि पल्लवी मैडम एक बार कह रहीं थीं कि खबर सुन कर ह