मिस्र में चुनावी धोखाधडी की अवहेलना ना की जाये
डैनियल पाइप्स जब 23 जनवरी को मिस्र के निचले सदन की बैठक हुई तो कुल 498 सीटों में 360 सीटें इस्लामवादियों के पास थीं और कुल 72 प्रतिशत मत सहित। यह आश्चर्यजनक आँकडा देश के लोकप्रिय मत से अधिक सत्तारूढ सैन्य नेतृत्व द्वारा सत्ता में बने रहने की हेराफेरी को अधिक व्यक्त करता है। जैसा कि 6 दिसम्बर के लेख मिस्र के चुनाव का छलावा में हमने तर्क दिया था कि जिस प्रकार अनवर अल सादात और होस्नी मुबारक ने पूर्व में, " नीतिगत ढंग से इस्लामवादियों को सशक्त किया ताकि पश्चिम से सशस्त्र और धन का सहयोग प्राप्त किया जा सके वही नीति मोहम्मद तंतावी और उनकी सुप्रीम काउंसिल आफ द आर्म्ड फोर्सेस ने अपनायी है और वही पुराना खेल जारी रखा है" । इस दावे के समर्थन में हमने तीन साक्ष्य रखे थे: (1) स्थानीय आधार पर चुनावी धोखाधडी; (2) सुप्रीम काउंसिल आफ द आर्म्ड फोर्सेस द्वारा इस्लामवादियों के साथ की गयी सौदेबाजी और (3) सेना द्वारा इस्लामवादियों के राजनीतिक दलों को छूट या सब्सिडी दिया जाना। सात सप्ताह के पश्चात कहीं व्यापक स्तर पर धोखाधडी के अनेक संकेत सामने आ रहे हैं। मिस्र के अग्रणी शास्त्