कश्मीरी पंडितों डोगरा और गैर मुस्लिम लोगों के विरुद्ध जिस मानसिकता को हवा दी जा रही है वह हवा, भारत विरोधी आंतरिक स्लीपर सेल्स एवं आयातित विचारधारा तथा आई एस आई का संयुक्त प्रयास है।
एक राजनीतिक दल के प्रवक्ता जीशान जावेद राणा ने एक टीवी चैनल पर केवल पॉलिटिकल स्टेटमेंट देते हुए नजर आए। टारगेट किलिंग को देखकर पूरी दुनिया समझ सकती है कि कश्मीरी पंडितों के विरुद्ध 1990 और उसके पहले तथा अब तक कितना जुल्म ढाया होगा। बहरहाल भारत सरकार इस मुद्दे पर बिल्कुल क्लियर है साथ ही निकट भविष्य में स्पष्ट एक्शन के मूड में है।
कश्मीर के जिन लोगों की हत्या हुई उनमें बैंक में मैनेजर विजय कुमार के अलावा राहुल भट्ट राजस्व अधिकारी रणजीत सिंह दुकान का कर्मचारी अमरीन भट्ट टीवी कलाकार रजनी बाला शिक्षिका की हत्या एक राजनीतिक दल की पहल पर पाकिस्तान कुख्यात सरकारी संगठन आई एस आई प्रायोजित हो इससे इनकार करना असंभव है। वर्तमान में कुछ राजनीतिक टिप्पणियों से सिद्ध होता है कि टारगेट किलिंग करवा कर या हो जाने पर भारत की सुरक्षा व्यवस्था को निशाने पर लिया जाए। एक सन्दर्भ से पता चलता है कि इस टार्गेट किलिंग का तानाबाना पीओके के मुज्ज़फराबाद में हुई थी .
उपरोक्त विवरण से हटकर अगर देखा जाए तो भारत में शांति की स्थापना के लिए हमारी एथेनिक-परम्पराओ को समाप्त करने का प्रयास सतत जारी रहना चाहिए।
इस संदर्भ में दिनांक 2 जून 2022 को संघ प्रमुख माननीय मोहन भागवत जी ने जो मार्गदर्शन दिया वह सामाजिक एकात्मता के परिपेक्ष में महत्वपूर्ण है। समय की आवश्यकता है कि भारत नेचुरल सेकुलरिज्म अर्थात प्राकृतिक- असंप्रदायिक परिस्थितियों में लौट जाए जैसा कि सनातन की प्रकृति है। सनातन व्यवस्था सदा से ही सांप्रदायिक विद्वेष को अस्वीकृत करती रही है।
लेकिन बाहरी विचारधारा एवं ब्रेनवाश करने वाली विचारधाराओं पर पैनी नजर रखने की जरूरत है। हमारा इंटरनल इंटेलिजेंस सिस्टम का बहुत प्रभावी होना जरूरी है।
उपरोक्त अनुसार शांति सद्भावना और एकात्मता का संदेश संपूर्ण भारतीय नागरिकों को करना ही होगा।