|   ||
|     पोथी   पढ़ि-पढ़ि जग मुआं,पण्डित भया न कोय ढाई आखर   “अन्ना” का पढ़ा वो पण्डित होय !!  |   ||
|     |   ||
|     वो जिसने बदली फ़िज़ा यहां की उसी के सज़दे में सर झुका ये तू कितने सर अब क़लम करेगा, ये जो कटा तो वो इक उठा है *********************** तेरी हक़ीक़त  तेरी   तिज़ारत  तेरी सियासत, तुझे मुबारक़-- नज़र में तेरी हैं हम जो तिनके,तो देख ले अब हमारी ताक़त !! कि पत्ता-पत्ता हवा चली है.. तू जा निकल जा बदन छिपा के   !!                           वो जिसने बदली फ़िज़ा   यहां की उसी के सज़दे में सर झुका ये *********************** थी तेरी साज़िश कि टुकड़े-टुकड़े हुआ था भारत, वही जुड़ा है तेरे तिलिस्मी भरम से बचके, हक़ीक़तों की तरफ़ मुड़ा है....!!                            अब आगे आके तू सर झुक़ा ले..या आख़िरी तू रज़ा बता दे ..? *********************** ये जो हक़ीक़त का कारवां हैं,तेरी मुसीबत का आसमां है कि अपनी सूरत संवार आके, हमारे हाथों में आईना है..!                           अग़रचे तुझमें नहीं है हिम्मत,तो घर चला जा..या मुंह छिपा ले ! ***********************  |   
Ad
हजारे लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.  सभी संदेश दिखाएं 
हजारे लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.  सभी संदेश दिखाएं 
शुक्रवार, अगस्त 19, 2011
ढाई आखर “अन्ना” का पढ़ा वो पण्डित होय !!
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ (Atom)
Ad
यह ब्लॉग खोजें
- 
सांपों से बचने के लिए घर की दीवारों पर आस्तिक मुनि की दुहाई है क्यों लिखा जाता है घर की दीवारों पर....! आस्तिक मुनि वासुकी नाम के पौरा...
 - 
Live -|| Day-1 || नार्मदीय ब्राह्मण समागम 2025 || 11-01-2025 || इंदौर
 - 
एक पोस्ट केवल राम जी के ब्लॉग "चलते-चलते" से--- केवलराम की यह पोस्ट अर्चना जी ने उम्दा ब्लागपोस्ट की पाड...