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सोमवार, अप्रैल 22, 2013

आई.ए.एस. मनोज श्रीवास्तव : संवेदित हस्ताक्षर

 प्रवासी-भारतीय वेब पत्रिका पर मनोज श्रीवास्तव जी पर एक आलेख देखा अच्छे कार्य की सदा सराहना और अच्छे व्यक्तित्व की सदा चर्चा आवश्यक है.. ऐसा मेरा मानना है. अस्तु मिसफ़िट पर सामग्री प्रकाशित करते हुए अच्छा लग रहा है...... आभार प्रवासी-भारतीय का  
                                    एक कुशल प्रशासक की बुद्धि तथा एक दक्ष साहित्यकार जैसे ह्दय के संयुक्त रूप का नाम है मनोज कुमार श्रीवास्तव। इन्होंने एम.ए हिन्दी साहित्य में उपाधि प्राप्तकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई.ए.एस) में 1987 में आए। इससे पूर्व सहायक प्राध्यापक एवं सहायक आयुक्त, आयकर विभाग, मुंबई के रूप में अपना अवदान शिक्षा और राष्ट्र को देते रहे। आई.ए.एस बनने के बाद में एस.डी.ओ. अतिरिक्त कलेक्टर, प्रशासक, कलेक्टर, आई. जी. पंजीयन एवं मुद्रांक, चेयरमैन प्रबंध निदेशक, विद्युत वितरण कंपनी, पूर्वी क्षेत्र, मध्यप्रदेश, आयुक्त, भू-अभिलेख, आयुक्त, आबकारी, सदस्य, राजस्व  मंडल, सचिव, संस्कृति, न्यासी सचिव, भारत भवन, आयुक्त एवं सचिव जनसंपर्क, आयुक्त, भोपाल एवं नर्मदापुरम संभाग जैसे दायित्वों को सफलता एवं समर्पण के साथ निभाते हुए संप्रति प्रमुख सचिव (राजस्व) म.प्र.शासन, मंत्रालय, भोपाल के पद पर आसीन हैं।
इनके रचना संसार में मेरी डायरी से’, ‘यादों के संदर्भ’, ‘पशुपतिजैसे पाँच कविता संग्रह हैं तो शिक्षा में सन्दर्भ और मूल्य’, ‘वंदेमातरम, ‘सुन्दरकांड (पांच खंड)जैसे विवेचनात्मक एवं व्याख्यात्मक सात कृतियाँ हिन्दी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति की अद्भूत शोभाएँ है।
अक्षरम्द्वारा इनकी प्रतिभा और समर्पण के प्रति सम्मान करते हुए इन्हे अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव 2012 में अक्षरम् संस्कृति सम्मानसे अलंकृत किया गया है।
प्रवासी दुनिया.कॉम पर प्रकाशित मनोज कुमार श्रीवास्तव  जी के प्रकाशन -


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