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रमपुरा वारे कक्का जू |
चुनाव नैरे आए तौ पार्टी ने टिकट दै दई और कक्का जू खौं खुलम्मखुला बता दओ कि कोऊ की ठठरी न बांधियो चुनाव लौं. जा लै लो टिकट चुनाव लड़ लौ.. कोऊ कौ कछु कहियो मती, झगड़्बौ-लड़बौ बंद अब चुनाव लडौ़ समझे.. !
कक्का जू :- जा का सरत धर दई .. हमसे जो न हु है..
पार्टी लीडर बोलो :- कक्का जू, तुम जानत नईं हौ, जीतबे के बाद तुमाए लाने मुतके मिल हैं.. सबकी बांध दईयो . रहो लड़बो-झगड़बो तो दरबार मैं जान खै माइक तोड़ियो, मारियो, कुर्सी मैकियो, जो कन्ने हो उतई करियो दद्दा मनौ जनता से प्यार-दुलार सै बोट तौ लै लो .
कक्का जू खौं कछु समझ परौ बस बे मान गए . नाम टी वी पै सुनखैं पेपरन मै देख कक्का जू बल्ली घांई उचकन लगे.
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जैंसे जैंसे बोट पड़बे की तारीक पास आन आन लगी कक्का जू खौं मुतके सीन दिखा दए जनता नैं.
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सच्ची बात जईया.. तुमौरे सुई न डरियो भैज्जा-भौजी.. कक्का काकी, टुरिया- मुन्ना हरौ, सब जाईयो जब बोटें परैं.
इस आलेख में उल्लेखित चरित्र का किसी एक गांव, और कक्का जू से सम्बंध नहीं है. अगर ऐसी कोई वास्तविकता पाई जावे तो संयोग मात्र होगा .
साभार :- राजस्थान निर्वाचन आयोग, जिला स्वीप-समिति डिंडोरी