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लव मैरिज या अरेंज मैरिज ..पर.. बहस गै़रज़रूरी लगती है

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              शादी को लेकर बरसों से सुलगता आ रहा है ये सवाल कि -"शादी प्रेम करके की जाए या शादी के बाद प्रेम हो ?"   इस सवाल का ज़वाब स्वामी शुद्धानंद नाथ के एक सूत्र से हल कर पाया जिसमें यह कहा कि -"प्रेम ही संसार की नींव है" यह सूत्र  आध्यात्मिक भाव धारा का सूत्र है. जो ये बात उजागर करता है कि  - प्रेम के बिना संसार का अस्तित्व न था न है.. और न ही रहेगा . यदि प्रेम न रहा तो आप जीवन की कल्पना कैसे करेंगें.            प्रेम के रासायनिक विज्ञान से तो मैं परिचित नहीं न ही उसकी बायोलाजिकल वज़ह को मैं जानता हूं.. बस इतना अवश्य है कि मेरी रगों में एक एहसास दौड़ता है जिसे मैं प्रेम कहता हूं. शायद आप भी इस एहसास से वाकिफ़ हैं होंगे ही मानव हैं तो होना अवश्यम्भावी है.जहां तक जीवन साथी के चुनाव का मामला है उसमें कोई खाप पंचायत जैसी फ़ोर्स हस्तक्षेप करे  खारिज करने योग्य है. इस बात का सदैव ध्यान हो कि -"प्रेमी जोड़े के खिलाफ़ कोई हिंसक वातावरण न बने." यानी साफ़ तौर पर विवाह के पूर्व पारस्परिक प्रेम नाज़ायज कतई नहीं. अगर विपरीत लिंगी से प्रेम हो  गया तो विवाह