संदेश

जन्मपर्व लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कोशिशें सदा बड़ी ही होतीं हैं..!

चित्र
    जन्मपर्व पर हार्दिक बधाई             बेटी शिवानी एफिल टॉवर, हिमालय, एवरेस्ट, या और अनंत ऊँचाईयाँ कभी भी बड़ी नहीं ...! बड़ी होती हैं... उम्मीदें...  अरे नहीं यह भी नहीं ! बड़े होते हैं संकल्प..! ओह..  ये भी आधा अधूरा सच है..! बड़ी होती हैं.. सफलताएं .. उफ़ ये क्या ? यह तो आधे से भी कम सच है बड़ी होतीं हैं.. कोशिशें..!  जो हज़ारों रिजेक्शन के  बाद    सतत संलग्नता   सफल बनातीं हैं हाँ... सकारात्मक दिशा  की कोशिशें सदा बड़ी ही होतीं हैं जन्मपर्व पर हार्दिक बधाई शिवानी बेटा..!

आसान नहीं है ज्ञानरंजन होना..!

चित्र
"आसान नहीं है ज्ञानरंजन होना...!"      2008-2009 का कोई  दिन या उस दिन की कोई शाम होगी । एक स्लिम ट्रिम पर्सनालिटी से सामना हुआ । ऐसा नहीं कि उनसे पहली बार मिला मिलना तो कई बार हुआ.... पर इस बार सोचा कि इतना चुम्बकीय आकर्षण कैसे हासिल होता है । बहुत धीरे से पर घनेरी तपिश की पीढा सहकर ये बने हैं गोया ।    जी सत्य यही है ज्ञानरंजन आसानी से हर कोई ऐरागैरा बन ही नहीं सकता ।     101 रामनगर जबलपुर के दरवाजे पर कोई 144 नहीं लगी थी जब उनके घर गया था । बहुत खुल के बात हुई थी तब । अब कोविड के बाद कभी गया तो फिर से होगी एक मुलाक़ात उनसे । उनसे असहमत/सहमत होना मेरा अपना अधिकार है, इसे लेकर बहुतेरे नकली साहित्यिक जीवगण खासे चिंतित रहते हैं । सो सुनिए-ज्ञान जी क्या कहते हैं बकौल यशोवर्धन पाठक-"गिरीश की अपनी मौलिक चिंतनधारा तो है ।" उनके इस वक्तव्य से अभिभूत हूँ वैसे भी उनके चरणों की रज माथे पर लगाना मेरे संस्कार का हिस्सा हैं ।  अक्सर लोग ज्ञानजी की सहजता को समझने में भूल कर देते हैं । निलोसे जी मेरी बेटियों के मामाजी हैं.. वे अक्सर ज्ञान जी के व्यक्तित्व से मुझे परिचि