भड़ास वाले ब्लॉगर यशवंत जी की माता जी के साथ जो भी हुआ है उचित कदापि नहीं. अब एक माँ  को चाहिए न्याय...एक बेटी से अपेक्षा है कि वे यशवन्त  जी ने पूरे आत्म नियंत्रण के साथ जो पोस्ट लिखी घटना के 72  घंटे बाद  देखिये क्या हुई थी घटना :-"वो मायावती की नहीं, मेरी मां हैं. इसीलिए  पुलिस वाले बिना अपराध घर से  थाने ले गए. बिठाए रखा. बंधक बनाए रखा. पूरे 18 घंटे. शाम 8 से लेकर अगले  दिन दोपहर 1 तक. तब तक बंधक बनाए रखा जब तक आरोपी ने सरेंडर नहीं कर दिया.  आरोपी से मेरा रिश्ता ये है कि वो मेरा कजन उर्फ चचेरा भाई है. चाचा व  पिताजी के चूल्हे व दीवार का अलगाव जाने कबका हो चुका है. खेत बारी सब बंट  चुका है. उनका घर अलग, हम लोगों का अलग. उस शाम मां गईं थीं अपनी देवरानी  उर्फ मेरी चाची से मिलने-बतियाने. उसी वक्त पुलिस आई. ये कहे जाने के  बावजूद कि वो इस घर की नहीं हैं, बगल के घर की हैं, पुलिस उन्हें जीप में  बिठाकर साथ ले गई. (आगे यहां से )."इस घटना का पक्ष ये है कि किन कारणों से किसी भी अपराध के आरोपी को तलाशने का तरीक़ा कितना उचित है.जबकी कानून इस बात की कितनी इज़ाज़त देता है इसे  "Legal Provision regarding arrest-detention" आलेख पर देखा जा सकता है. अमिताभ ठाकुर ने अपने आलेख में कानूनी प्रावधान की व्याख्या की है. व्याख्या के अलावा सामान्य सी बात है कि किसी अपराध के आरोपी की तलाश में किसी अन्य नातेदार को जो एक प्रथक इकाई का सदस्य है वृद्ध है को पुलिस-स्टेशन में रख उसके मानव-अधिकारों का हनन किस आधार पर  किया जा सकता है. ? पुलिस की  इस प्रक्रिया से हम असमत हैं.  
Ad
माताजी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.  सभी संदेश दिखाएं 
माताजी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.  सभी संदेश दिखाएं 
रविवार, अक्टूबर 17, 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ (Atom)
Ad
यह ब्लॉग खोजें
- 
सांपों से बचने के लिए घर की दीवारों पर आस्तिक मुनि की दुहाई है क्यों लिखा जाता है घर की दीवारों पर....! आस्तिक मुनि वासुकी नाम के पौरा...
- 
Live -|| Day-1 || नार्मदीय ब्राह्मण समागम 2025 || 11-01-2025 || इंदौर
- 
एक पोस्ट केवल राम जी के ब्लॉग "चलते-चलते" से--- केवलराम की यह पोस्ट अर्चना जी ने उम्दा ब्लागपोस्ट की पाड...
 
 
 
