एस-400 ट्रिम्फ एक विमान भेदी हथियार एस-300 परिवार का नवीनीकरण के रूप में रूस की अल्माज़ केंद्रीय डिजाइन ब्यूरो द्वारा 1990 के दशक में विकसित विमान भेदी हथियार प्रणाली है। यह 2007 के बाद से ही रूसी सशस्त्र सेना में सेवा कर रही है। (Wikipedia)
रूस में विकसित यह मिसाइल रूस की एक और रक्षा प्रणाली S-300 का एडवांस रूप है . इस रक्षा प्रणाली पर भारी मात्रा में पैसे खर्च करने के औचित्य को लेकर सवाल उठाए जा सकते हैं परंतु इसी रक्षा प्रणाली के खरीदने के लिए जिन तथ्यों को महत्वपूर्ण माना जाता है उनमें लाल साम्राज्य अर्थात चीन की विस्तार वादी नीति सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। अपने व्यवसाय हित को साधने के लिए चीन पूर्वोत्तर राज्यों में भी अपना हक जमाना चाहता है और उसकी कोई भी अंतरराष्ट्रीय संधि ऐसी नहीं है जिसमें चीन ने अपना लाभ ना देखा हो।
*S400 की सप्लाई प्रारंभ।*
चीनी विस्तार वादी नीति के विरुद्ध भारत ने विलंब से किंतु जरूरी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि है की S400 के आने के बाद पूर्वोत्तर शक्ति संतुलन की स्थिति निर्मित हो जावेगी। कुछ विद्वानों का यह मानना है कि इससे उत्तेजित होकर चीन अपने हथकंडे अपनाने शुरू कर देगा।
मेरा मानना है कि वर्तमान में चीन की आंतरिक व्यवस्था बेहद खतरनाक एवं तनावपूर्ण है। इसका उदाहरण चीन में हुए लगभग 150 बम विस्फोट से लगाया जा सकता है। बावजूद इसके कि- चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने जिंग पिंग के हाथ मजबूत किए हैं।
विश्व राजनीतिक पटल पर राष्ट्रपति की गैरमौजूदगी भी इसी फैक्ट को पुष्ट करती है।
ऐसा नहीं है कि S400 की तैनाती केवल उत्तर पूर्वी सुरक्षा के लिए की जाएगी बल्कि माना जा रहा है कि यह पाकिस्तान को भी कवर करने के लिए कारगर साबित होने वाली एक बेहतरीन मिसाइल है।
इस मिसाइल को लेकर सबसे ज्यादा उत्तेजक वातावरण पाकिस्तान के मीडिया जगत में देखा गया।
भारत के अधिकतम प्रयासों के बावजूद भारत की पश्चिमी एवं उत्तर पूर्वी सीमाओं पर पिछले कई वर्षों से तनाव एवं झड़प की स्थिति को देखते हुए भारत के इस निर्णय पर विश्व वैश्विक स्तर पर सराहना स्वभाविक है। चीन की विस्तार वाली नीति को लेकर विश्व न केवल नाराज है बल्कि कोविड-19 से प्रभावित सभी देश और उसकी आबादी चीन के प्रति बेहद आक्रोशित है।
विगत रात्रि एक रक्षा विशेषज्ञ व्यवसाई श्री पराग द्वारा अपनी टि्वटर हैंडल से यह बात अभिव्यक्त की कि भारत निकट भविष्य में पूर्वोत्तर सीमा और पाकिस्तान को कवर कर लेगा यह कार्य आज से 20 वर्ष पूर्व कर लेना था। जो नहीं हो पाया। राष्ट्र की संप्रभुता एवं उसके अस्तित्व की रक्षा करना राष्ट्र प्रमुख की जिम्मेदारी है।
अब मीडिया के बढ़ते हस्तक्षेप के मद्देनजर वैश्विक राजनीति से परिचित होना बहुत जरूरी है। वैश्विक राजनीति का प्रभाव भारतीय अप्रवासियों पर भी पड़ता है। मेरे एक मित्र रमेश सूरी जी एवम विशेष जी कहते हैं कि वास्तव में हमें जो सम्मान अब मिल रहा है उसे हम हासिल कर पाने में पहले असमर्थ रहे हैं।
वैश्विक राजनीति के संदर्भ में देखा जाए तो भारत ने कोविड-19 में जो प्रदर्शन किया उससे भारत की स्थिति बेहद मजबूत हुई है। पराग जी के मत के अनुसार विश्व में उसे ही श्रेष्ठ माना जा रहा है जिसका मेडिकल क्षेत्र में रक्षा क्षेत्र में दबदबा कायम हो तथा आर्थिक मॉडल उत्कृष्ट हो वह देश इन दिनों प्रासंगिक है। इस शताब्दी में पराग जी के इस कथन को अस्वीकार करना बहुत कठिन है। इसमें कोई शक नहीं कि एस 400 महंगा सौदा है परंतु विपरीत परिस्थितियों में जैसा की बहुत संभव है भारत यह सिद्ध कर पाएगा कि यह समझौता कितना महत्वपूर्ण और समकालीन परिस्थितियों में प्रासंगिक है। रूस से यह समझौता अमेरिकन दबाव के बावजूद करके भारत एवं रूस ने यह संदेश दिया है कि आत्मरक्षा का कोई दूसरा विकल्प हो ही नहीं सकता। भारतीय रक्षा व्यवस्था में सुधार लाना उसे परिमार्जित करना एक प्रभावी प्रणाली है और इसका स्वागत और सम्मान करना ही होगा। अगर इस रक्षा सौदे को लेकर किसी भी तरह का कन्फ्यूजन हो तो हम गलवान से लेकर अब तक के जिनपिंग के नकारात्मक प्रयासों को देख कर ही समझ सकते हैं ।