आ गया है खुद -खिलाफ़त की जुगत लगाने का वक़्त
आभार: तीसरा रास्ता ब्लाग ब्लाग स्वामी आनंद प्रधान नकारात्मकता हमारे दिलो-दिमाग पर कुछ इस क़दर हावी है कि हमें दो ही तरह के व्यक्ति अ पने इर्द-गिर्द नज़र आ रहे हैं. “अच्छे और बुरे” एक तो हम सिर्फ़ खुद को ही अच्छा मानते हैं. या उनको जो अच्छे वे जो हमारे लिये उपयोगी होकर हमारे लिये अच्छे हैं . 1. . मैं हूं जो निहायत ईमानदार , चरित्रवान ऐसी सोच को दिलो दिमाग से परे कर अब वक़्त आ गया है कि हम खुद के खिलाफ़ एक जंग छेड़ दें. अपना किसी के खिलाफ़ जंग छेड़ना ही महानता का सबूत नहीं है . 2. दूसरे दुनियां के बाक़ी लोग. यानी अपने अलावा ये,वो, तुम जो अपने लिये न तो उपयोगी थे न ही उपयोगी होते सकते हैं और न ही अपने नातों के खांचों में कहीं फ़िट बैठते वे भ्रष्ट , अपराधी , गुणहीन , नि:कृष्ट पतित हैं. बस ऐसी सोच अगर दिलो दिमाग़ से हट जाए तो हम ख़ुद के खिलाफ़ लामबंद जाएंगे यानी बस अगर सही है तो ग़लत हैं हम .. “ हमारा न तो औदार्य-पूर्ण-द्रष्टिकोण ” है न ही हम समता के आका