साभार: रोजनामचा |
आप जो आम जनता हैं आकुल-व्याकुल आम जनता आपमें से हरेक भ्रष्टाचार से परेशान हैं हलाकान हैं. आपकी मुश्क़िलों के बारे में अक्सर बारास्ता अखबार और दिन भर चालू खबरीले चैनल्स से पता चलता है. आप वही हो न जो अक्सर अपने बच्चे का एडमिशन मोटी फ़ीस देकर नामचीन स्कूल में चाहते हो है न. अर्र भूल गये वो दिन जब तुम बेटे को अव्वल लाने के लिये स्कूल मास्टर को अपनी औक़ात के मुताबिक़ उपहार देने गये थे.. है न ये अलग बात है कि मास्टर को उसकी बीवी की वज़ह से एथिक्स को बायपआस करना पड़ा था.
तुम जो बेटी के लिये लड़का खोजने गए थे और मिला भी तुमने उसके पद की पतासाजी के बाद बीवी को बताया था कि सरकारी मुलाज़िम है... ऊपरी कमाई वाली कुर्सी पे बैठा है अपनी जुगनी के वास्ते फ़िट है
तुम कित्ते आकुल-व्याकुल है.. सब जानते हैं तुमको जब अवसर मिला नौचा-लूटा खसोटा समूचे देश को.तुम वो जो टेक्स मार लेते हो तुम जो वोट वाली ताक़त बेच देते हो दो बाटल दारू में. तुम जो ब्लैक में किचिन में गैस जलाते हो कितने ईमानदार हो तुम्हारे माथे पे लिक्खा तो है जाओ ज़रा आईने के सामने सब साफ़ नज़र आ जाएगा तुम जो ईमानदारी का पोटला लिये घूम रहे हो बेईमानी के विरोधी हो अच्छी बात है बस अब डटे रहना इसी हौसले के साथ कोई समझौता न करना वैसे मेरी राय में ईमानदारी की परिभाषा एकाध ही ईमानदारी से देने की योग्यता रखता होगा.
किसी पे भी आरोप लगा दो बेशक उसे बीच बाज़ार नंगा कर बेईमान को गरियाओ पर सबसे पहली गाली वो दे जिसने खुद कभी भ्रष्टाचार न किया हो.. अपना बेटा न बेचा हो ......
शायद ही तुम में से कोई आगे आ पाएगा तो स्वीकार लो न "ईमानदार वही जिसे मौका मिला नहीं"