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" चम्मचों की वर्तमान दशा और उनकी भविष्य की दशा "

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                                                                    राष्ट्रीय स्तर पर यशस्वियों की लम्बी फ़ेहरिश्त को देख कल्लू यश अर्जन के गुंताड़े में लग गये.एक दिन अल्ल सुबह कल्लू  आए बोले दादा-"नाम , नाम में का रखा है है इसे तो हम भी कमा सकते हैं..!"   हम- कमाओ नाम कमाओगे तो हम हमारा मुहल्ला , तुम्हारी चाय की दुकान , सब कछु फ़ेमस हो जाएगा कमाओ कमाओ नाम कमाओ..! कलू - दादा , एक ब्राह्मण का आशीर्वाद सुबह से मिला तो हम आज सेई काम शुरु कर देते हैं.           हम भी बुजुर्गियत भरे भाव से मुस्कुराये उधर कल्लू फ़ुर्र से गायब.                                 पता नहीं क्या हुआ कल्लू को. यूं तो आज़ कल आधे से ज़्यादा लोग खुद को सुर्खियों में देखना चाहते हैं. पर एक कल्लू ऐसा इंसान था जो वास्तव में इंसान था अब इसे कौन सा भूत सवार हुआ कि वो यशस्वी हो जाना चाहता है. हमने सोचा अब जब आएगा तो समझा देंगे कि यश अर्जित करने की लालसा को होली में डाल दो.. हमने अच्छे-अच्छों को यशासन से तिरोहित ही नहीं औंधे मुंह गिरते देखा है

सही प्रबंधक वो है जो अपने चम्मचों को लटका के रखे ...........!!

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चमचों के बिना जीना-मरना तक दूभर है. खास कर रसूखदारों-संभ्रांतों के लिये सबसे ज़रूरी  सामान बन गया है चम्मच. उसके बिना कुछ भी संभव नहीं चम्मच उसकी पर्सनालिटी में इस तरहा चस्पा होता है जैसे कि सुहागन के साथ बिंदिया, पायल,कंगन आदि आदि. बिना उसके रसूखदार या संभ्रांत टस से मस नहीं होता.   एक दौर था जब चिलम पीते थे लोग तब हाथों से आहार-ग्रहण किया जाता था तब आला-हज़ूर लोग चिलमची पाला करते थे. और ज्यों ही खान-पान का तरीक़ा बदला तो साहब चिलमचियों को बेरोज़गार कर उनकी जगह चम्मचों ने ले ली . लोग-बाग अपनी   क्षमतानुसार चम्मच का प्रयोग करने लगे. प्लैटिनम,सोने,चांदी,तांबा,पीतल,स्टेनलेस, वगैरा-वगैरा... इन धातुओं से इतर प्लास्टिक महाराज भी चम्मच के रूप में कूद पड़े मैदाने-डायनिंग टेबुल पे. अपने अपने हज़ूरों के सेवार्थ. अगर आप कुछ हैं मसलन नेता, अफ़सर, बिज़नेसमेन वगैरा तो आप अपने इर्द गिर्द ऐसे ही विभिन्न धातुओं के चम्मच देख पाएंगे. इनमें आपको बहुतेरे चम्मच बहुत पसंद आएंगे. कुछ का प्रयोग आप कभी-कभार ही करते होंगे.    चम्मच का एक सबसे महत्वपूर्ण और काबिले तारीफ़ गुण भी होता है कि वो सट्

सावधान....चमचों के साथ छुरी-कांटे भी होते हैं...!!

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चमचों के बिना जीना-मरना तक दूभर है. खास कर रसूखदारों-संभ्रांतों के लिये सबसे ज़रूरी  सामान बन गया है चम्मच. उसके बिना कुछ भी संभव नहीं चम्मच उसकी पर्सनालिटी में इस तरहा चस्पा होता है जैसे कि सुहागन के साथ बिंदिया, पायल,कंगन आदि आदि. बिना उसके रसूखदार या संभ्रांत टस से मस नहीं होता.         एक दौर था जब चिलम पीते थे लोग तब हाथों से आहार-ग्रहण किया जाता था तब आला-हज़ूर लोग चिलमची पाला करते थे. और ज्यों ही खान-पान का तरीक़ा बदला तो साहब चिलमचियों को बेरोज़गार कर उनकी जगह चम्मचों ने ले ली . लोग-बाग अपनी  आर्थिक क्षमतानुसार चम्मच का प्रयोग करने लगे. प्लैटिनम,सोने,चांदी,तांबा,पीतल,स्टेनलेस, वगैरा-वगैरा... इन धातुओं से इतर प्लास्टिक महाराज भी चम्मच के रूप में कूद पड़े मैदाने-डायनिंग टेबुल पे. अपने अपने हज़ूरों के सेवार्थ. अगर आप कुछ हैं मसलन नेता, अफ़सर, बिज़नेसमेन वगैरा तो आप अपने इर्द गिर्द ऐसे ही विभिन्न धातुओं के चम्मच देख पाएंगे. इनमें आपको बहुतेरे चम्मच बहुत पसंद आएंगे. कुछ का प्रयोग आप कभी-कभार ही करते होंगे.        चम्मच का एक सबसे महत्वपूर्ण और काबिले तारीफ़ गुण भी होता