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सखियां फ़िर करहैं सवाल- रंग ले अपनई रंग में..!! (बुंदेली प्रेम गीत )

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नीरो नै पीरो न लाल रंग ले अपनई रंग में ..!! ********* प्रीत भरी   पिचकारी   नैनन   सें   मारी मन भओ गुलाबी , सूखी रही सारी. हो गए गुलाबी से गाल रंग ले अपनई रंग में ..!! ********* कपड़न खौं रंग हौ तो रंग   छूट  जाहै तन को रंग पानी से तुरतई मिट जाहै सखियां फ़िर करहैं सवाल- रंग ले अपनई रंग में..!! ********* प्रीत की नरबदा मैं लोरत हूं तरपत हूं तोरे काजे खुद  सै रोजिन्ना  झगरत हूं मैंक दे नरबदा में जाल – रंग ले अपनई रंग में..!! ********

ज़रा रूमानी हो जाएं

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आज़ देर तक खूब गीत सुने जो सुने वो शायद आपको भी पसंद आएं.. तलाशिये इन लिंक्स में सुहासी धामी   साभार : न्यू आब्ज़र्वर पोस्ट  आप की आंखों में महके हुये राज़     देख हमने इस मोड़ से जाने का मन बना लिया. जहां से जातें हैं   सुस्त क़दम रस्ते  तेज़ कदम राहें   वहीं उस मोड़ पर तुमसे मिलना और   भिगो देना पूरे बदन को रिमझिम सावनी फ़ुहारों   का.  और   फ़िर न जाने क्यों   ... न क्यों होता है ज़िंदगी के साथ अचानक तुम्हारे जाने के बाद तुमको तलाशता है उसी मोड़ पर.  और फ़िर मन को धीरज देता रजनीगंधा के फ़ूलों का वो गुच्छा जो रात तुमने महकाने लाए थे मेरे सपनों में.जहां मुझसे  तुम कह रहे होते हो मैं अनजानी आस हूं जिसके पीछे तुम  गोया पागल हो ? और फ़िर अचानक तुम्हारी सुर में सुर मिलने की चाहत का सरे आम होना...और तुमसे मिली नज़र की याद के असर को न भुला पाना फ़िर खुद से  मेरा शर्मशार होके सिमट जाना खुद में... फ़िर तन्हाई में दिल से बातें करना..खामोशी में भी संगीत एहसास करना.शायद तुमको इस बात का एहसास तो होगा ही  कि बातों ही बातों में प्यार  ... तुमने ही तो कहा था न ..और एक दिन हां एक  दिन हम तुम

मेरी आवाज़ में अब सुनिये: मन बैठा विजयी सा रथ में !!

इश्क-प्रीत-लव: पर प्रकाशित गीत मेरी आवाज़ में सुनना चाहेंगे जो इन सभी सुधि पाठकों भाया : निलेश  माथुर जी, संगीता स्वरुप ( गीत ), दिव्या जी , राम त्यागी जी , <img src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjco4ByDT9KlgnKvFXG4t8ZhI3axB8Rfm-ht-JMwWm7vf7BrLS12jbbr_LYkmFCg8aBYkilzUikTHvE-LxHm1ev3w717t9p557AOJiHnospEg7yR4nEUrv1Y09lo5psQe2KJGTq7yK6Lxs/s45/Image072.jpg" width="35" height="35" class="photo" alt=""> विनोद कुमार पांडेय जी , अमिताभ मीत जी , अजय कुमार जी , दिलीपभाई , डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक , ए <img src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgd9uYcdeq018ZAHzn4ORms_vKh4pr6Rk3tadmPJbqPlkN1GOJGq84uqt33Ht1jlwV00Ui2gEAPip_QZ_g-TVWILAPORoGWkCHYnlAzAn0GrrLNzRNZvwiD24_NWD_HvNXw0rV16TJEYVM/s45/me4.jpg" width="35" height="35" class="photo" alt=""> म  वर्मा जी ने आप को भी पसन्द आयेगा तय है