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सोमवार, सितंबर 21, 2009

संस्कार धानी के शताब्दी सूर्य :"छैल कवि "

एक हादसे ने बिस्तर पर लगातार लेते रहने को मज़बूर कर दिया था मुझे 1999 की दीपावली बाज़ार से खरीददारी की गरज से अपने भतीजे भतीजी अंकुर आस्था को लेकर निकला था सारी खरीददारी के बाद जाने कैसे स्लिप हो गया फीमर बोन फ्रेक्चर का कष्ट आज तक साथ है । हाल चाल लेने तो कई लोग आए उनमें गीतकार अभय तिवारी ने सुझाया :-"गिरीश भाई , पड़े पड़े और कमजोर हो जाओगे "
"तो क्या करुँ...?"
"मेरी मदद पलंग पर लेटे-लेटे........कल से मैं स्वतंत्र मत के साहित्यिक पन्ने के लिए सामग्री संग्रह कर के ला दूगां आप करना सम्पादन । उस समय दैनिक अखबार स्वतंत्र मत के साहित्यिक पन्ने के लिए प्राप्त सामग्री में से मेरे पास "श्रीयुत हरिकृष्ण त्रिपाठी द्वारा लिखित "कुछ पांडू लिपियाँ स्केन कर आप सुधि जनों के लिए सादर





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