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कृष्ण भौतिक एवम आध्यात्मिक मूल्यांकन

श्रीकृष्ण   कोई किंवदंती नहीं है न ही वो वर्चुअल रहा है.  सत्य है शास्वत है सर्वकालिक है सार्वभौमिक चिरंतन सत्य है इसे नक़ार सकने की शक्ति मुझ में तो नहीं है राधा ,   रुक्मिणी ,   सत्यभामा ,   जांबवती ,   नग्नजित्ती ,   लक्षणा ,   कालिंदी ,  भद्रा ,  मित्रवृंदा . का पति , भौतिक अर्थों में रसिक     कृष्ण   समकालीन व्यवस्था के खिलाफ़ खड़ा   विद्रोही   कृष्ण , राजनीतिग्य   कृष्ण ,   सर्वहारा का नेता   कृष्ण , जब विराट स्वरूप के दर्शन कराते हैं हैं तो सम्पूर्ण-सृष्टि का दर्शन हो जाता है. यानी कृष्ण को महान  वैज्ञानिक   कहू तो  अतिश्योक्ति नहीं है. यानी सब कुछ   कृष्ण   हैं  और सब कुछ में कृष्ण..ही हैं.   सत्ता से प्रताड़ित शोषितों  के घर जन्मे विश्व-सचेतक कर्मयोगी कृष्ण के फ़लसफ़े के आगे सर्वहारा के लिये लाये गए सारे आंदोलनों को कृष्णकालीन आंदोलन का अनुवाद करने का प्रयास मात्र लगते हैं . शेष आंदोलनों में आध्यात्मिक तत्व का न होने से   पश्चातवर्ती   नकारात्मक  प्रभाव छोड़ते दिखाई  देते हैं. नक्सलवाद इसका सर्वोच्च उदाहरण है. यानी कृष्ण के रूप में ईश्वर ने जो किया उसका पश्चातवर्ती प्रभा