आप सभी का मिसफिट पर हार्दिक स्वागत हैइस ब्लॉग पर आते ही आपकी समस्त टिप्पणी से सम्बंधित कामनाएं बाबा टिपोर नाथ के आशीर्वाद से पूर्ण हो जायेंगी. आप सभी का हार्दिक स्वागत है जो टिप्पणियां देने आए जो आ रहें हैं तुरंत आ जाएँ कसम से बाबा टिपोर चाँद का आशीर्वाद से आपका ब्लॉग भी भरी-पूरी सुहागिन सा दमकता चमकता दिखेगा
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सोमवार, जनवरी 04, 2010
"अखंड टिप्पणी-वता/वती भवेत !!"
आप सभी का मिसफिट पर हार्दिक स्वागत हैइस ब्लॉग पर आते ही आपकी समस्त टिप्पणी से सम्बंधित कामनाएं बाबा टिपोर नाथ के आशीर्वाद से पूर्ण हो जायेंगी. आप सभी का हार्दिक स्वागत है जो टिप्पणियां देने आए जो आ रहें हैं तुरंत आ जाएँ कसम से बाबा टिपोर चाँद का आशीर्वाद से आपका ब्लॉग भी भरी-पूरी सुहागिन सा दमकता चमकता दिखेगा
शुक्रवार, दिसंबर 18, 2009
इस वर्ष का हीरा लाल गुप्त "मधुकर" स्मृति सम्मान श्री गोकुल शर्मा दैनिक भास्कर जबलपुर ,सव्यसाची अलंकरण श्री सनत जैन भोपाल को तथा श्रेष्ट ब्लॉगर सम्मान श्री महेंद्र मिश्र को
स्वर्गीय श्री हीरा लाल गुप्ता पत्रकारिता के क्षितिज पर एक गीत सा , जिसकी गति रुकी नहीं जब वो थे ..तब .. जब वो नहीं है यानी कि अब । हर साल दिसंबर की 24 वीं तारीख़ को उनको चाहने वाले उनके मित्रों को आमंत्रित कर सम्मानित करतें हैं । यह सिलसिला निर्बाध जारी है 1998 से शुरू किया था मध्य-प्रदेश लेखक संघ जबलपुर एकांश के सदस्यों ने । संस्था तो एक प्रतीक है वास्तव में उनको चाहने वालों की की लंबी सूची है । जिसे इस आलेख में लिख पाना कितना संभव है मुझे नहीं मालूम सब चाहतें हैं कि मधुकर जी याद किये जाते रहें । मधुकर जी जाति से वणिक , पेशे से पत्रकार , विचारों से विप्र , कर्म से योगी , मानस में एक कवि को साथ लिए उन दिनों पत्रकार हुआ करते थे जब रांगे के फॉण्ट जमा करता था कम्पोजीटर फिर उसके साथ ज़रूरत के मुताबिक ब्लाक फिट कर मशीनिस्ट को देता जो समाचार पत्र छपता था । प्रेस में चाय के गिलास भोथरी टेबिलें खादी के कुरते पहने दो चार चश्मिश टाइप के लोग जो सीमित साधनों में असीमित कोशिशें करते नज़र आते थे । हाँ उन दिनों अखबार का दफ्तर किसी मंदिर से कमतर नहीं लगता था . मुझे नहीं मालूम आप को क्या लगता होगा ये जान कर ......?क्योंकि, उस दौर के प्रेसों के प्रवेश-द्वार से ही स्याही की गंध नाक में भर जाती थी... को मेरा मंदिर मानना । अगर अब के छापाखाने हायटेक हों गए हैं तो मुझे इसमें क्यों एतराज़ होने चला ..... भाई मंदिर भी तो हाईटेक हैं । चलिए छोडें इस बात को "बेवज़ह बात बढाने की ज़रूरत क्या है...?" हम तो इस बात कि पतासाज़ी करनी है "आखिर कौन हैं ये -हीरालाल जी जिनको याद करता है जबलपुर "
गुप्ता जी को जानने प्रतीक्षा तो करनी होगी ..... तब तक सुधि पाठक ये जान लें कि मधुकर जी जबलपुर की पत्रकारिता की नींव के वो पत्थर हैं जिनको पूरा मध्य-प्रदेश संदर्भों का भण्डार मानता था । सादा लिबास मितभाषी , मानव मूल्यों का पोषक , रिश्तों का रखवाला, व्यक्तित्व सबका अपना था , तभी तो सभी उनको याद कर रहें है.
जन्म:- मधुकर जी का जन्म उत्तर प्रदेश के फ़तेहपुर जिले के बिन्दकी ग्राम में हुआ । जन्म के साल भर बाद पिता लाला राम जी को जबलपुर ने बुलाया रोज़गार के लिए । साथ में कई और भी परिवार आए जो वाशिंदे हों गए पत्थरों के शहर जबलपुर के । जबलपुर जो संतुलित चट्टानों का शहर है.... जबलपुर जो नर्म शिलाओं का नगर है । फूताताल हनुमान ताल सूपाताल मढाताल, देवताल , खम्बताल के इर्द गिर्द लोग बसते थे तब के जबलपुर में लालाराम जी भी बस गए खम्बताल के नजदीक जो अब शहर जबलपुर का सदर बाज़ार है। मायाराम सुरजन जी ने गुप्त जी को 1992 के स्मृति समारोह के समय याद करते हुए बताया की "1950 में नव-भारत के दफ्तर में कविता छपवाने आए सौम्य से , युवक जिसने तत्समय छपने योग्य छायावादी रचना उन्हें सौंपी , रचना से ज़्यादा मधुकर उपनाम धारी गुप्ता जी ही पसंद आ गए. बातों -बातों मायाराम जी जान गए की गुप्ता जी बी॰ए॰ पास हैं . पत्रकारिता में रूचि देखते हुए उन्हें नवभारत में ही अवसर दिया
उनको चाहने वालों में मायाराम जी सुरजन ,दुर्गाशंकर शुक्ल ,कुञ्ज बिहारी पाठक , जीवन चंद गोलछा, पं.भगवतीधर बाजपेई,डॉ. अमोलक चंद जैन,मेरे गुरुदेव हनुमान वर्मा,विजय दत्त श्रीधर,अजित भैया[अजित वर्मा] श्याम कटारे , गोकुल शर्मा , फ़तेहचंद,गोयल,विश्व नाथ राव , फूल चंद महावर, निर्मल नारद , शरद अग्रवाल,पुरंजय चतुर्वेदी, माता प्रसाद शुक्ल आदि ने मिलकर उनकी पुण्य तिथि 23 मई 1992 को स्मृति दिवस मनाया उन्हें याद किया .
फ़िर चाहने वालों ने मध्य प्रदेश लेखक संघ के साथ मिलकर मधुकर जी का जन्म दिवस स्मृति दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया . 24 दिसम्बर को हर साल शहर के लोग याद गुप्त जी के बहाने जुड़्तें ही हैं . परिजन उनकी याद में किसी प्रतिष्ठित पत्रकार को बुलाकर सम्मानित करतें है । उनकी स्मृति में 1992....के बाद 1997 से लगातार गुप्त जी के जन्म दिन पर लोग एकत्र हों कर सम्मानित करतें है उनकी पीडी के सम्मानित पत्रकारों को । इस क्रम में
- श्री ललित बक्षी जी 1998,
- "बाबूलाल बडकुल 1999,
- "निर्मल नारद 2000,
- "श्याम कटारे 2001
- "डाक्टर राज कुमार तिवारी "सुमित्र" 2002
- "पं ० भगवती धर बाजपेयी 2003,
- "मोहन "शशि" 2004
- "पं ० हरिकृष्ण त्रिपाठी एवं प्रो० हनुमान वर्मा 2005 (को संयुक्त )
- " अजित वर्मा 2006
- "पं०दिनेश् पाठक 2007
- श्री सुशील तिवारी 2008
अपने परिवार से सम्मान देने की पेशकश की और पिता जी श्री काशी नाथ बिल्लोरे ने
युवा पत्र कार को सम्मानित करने की सामग्री मय धनराशी के दे दी वर्ष 2000 से
- श्री मदन गर्ग 2000
- " हरीश चौबे 2001
- " सुरेन्द्र दुबे 2002
- " धीरज शाह 2003
- " राजेश शर्मा 2004,
"सव्यसाची प्रमिला देवी अलंकरण " का रूप देते हुए निम्नानुसार प्रदत्त किये
- श्री गंगा चरण मिश्र 2005
- " गिरीश पांडे 2006
- " विजय तिवारी 2007
- '' श्री पंकज शाह 2008
इ-पत्रकारिता की प्रारम्भिक अवस्था ब्लागिंग को समीर लाल के बाद जबलपुर के सबसे पहले ब्लॉगर के रूप में बंद कमरे में बैठ कर दुनिया जहान को जबलपुर से रू-ब-रू कराने वाले महेंद्र मिश्र जी अब केवल ब्लॉगर है शासकीय सेवा से मुक्त हुए मिश्र जी अब शुद्ध ब्लॉगर हैं .
रविवार, फ़रवरी 08, 2009
ब्लॉग-पार्लियामेन्ट की जुगत ज़मने लगी है:
- ब्लागाध्यक्ष: एक पद
- प्रधान-ब्लॉग-मंत्री
- अन्तर-राष्ट्रीय मामलों के मंत्री
- कायदा-मंत्री
- टिप्पणी-मंत्री
- प्रति-टिप्पणी मंत्री
- गुम-नाम टिप्पणी प्रतिषेध-मानती
- बिन-पडी पोस्ट टिपियाना मंत्री
- नारी-ब्लॉग मंत्री
- राजनीतिक /धर्म/संस्कृति/तकनीकी सहित उतने मंत्री होंगें जितने विषयों पर ब्लॉग लिखे जा रहें हैं।
इस चालीसा के अलावा १०० से अधिक बिलागर जबलपुर के ही होंगे अभी 20-25 हैं मार्च के बाद 100 से अधिक होंगे
मंगलवार, जनवरी 06, 2009
बूझ लिया और जान लिया पहचान लिया भी
“ब्लागर्षियों…!!”
पहेली ...ओउर .....ओकर जबाव .. तो ठीक है हमहूँ कहे देत हैं किहम तो उस भैये को खोजत हैं जिसने पहले-पहल यानि कि सबसे
पहले मुर्गी और अंडा को मुर्गी और अंडा की संज्ञा दी है. जिसकी तर्ज़ पे "ब्रह्म की पहचान"
करने वाले महर्षियों कि तरह "ब्लॉग-ऋषिगण " इस पहले का भेद जानने की कोशिश में
लगे हैं...!!अब इस पहेली को
को सुलझाने कि कोशिश के दौर में विजेता महारथियों को मेरी और मेरे अन्य ब्लॉग-मुनियों
की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं
पहुंचे जी !
सोमवार, जनवरी 05, 2009
शतरंज के खिलाड़ी हैं हम !!
लड़का क्या करता है....?जी ब्लॉगर हैं ।तो ठीक है उसकी शादी फीमेल से नहीं ई-मेल से कर दीजिए। शतरंज के खिलाडी हिन्दी के ब्लॉगर एक आभासी हार जीत का मज़ा लेना हो तो इन ब्लॉगर (जिनमें मैं भीशामिल हूँ) की भाव-भंगिमा से बांचा जा सकता है। हर बाजी "पोस्ट" को विजेता के भाव सेलिखते हम सच अदद टिप्पणियों / आगंतुकों की प्रतीक्षा में लग जातें हैं। कम टिप्पणियों केबाबजूद हार न मानना हमारी विशेषता हैं। नाते चिट्ठों पे टिपिया के मांग लेतें हैं टिप्पणी मिल भीजातीं हैं। कुछ आपसी पीठ खुजाई में बदस्तूर लगे रहतें हैं । किंतु यहाँ क्रिया की प्रतिक्रया कासिद्धांत लागू होता है , यदि दो बार के बाद टिप्पणी रिटर्न गिफ्ट से न आए तो अपन उस ब्लॉग पेटिपियाना तो दूर उधर निगाह भी नहीं करते। गिव एंड टेक का मसला है भई !! कुछ विस्तार से बागर-चर्चा हो इस हेतु मैं अपनी तुच्छ बुद्धि से ब्लॉगर वर्गीकरण करने की सोची समझी गलती कर रहाँ हूँ .......
"A" सर्टिफिकेट धारी ब्लॉगर के लिए सब कुछ जायज होता है। ये लोग एक समूह में काम करतें हैं । तू मेरी खुजा मैं तेरी पीठ खुजाऊं की तर्ज़ पे हिन्दी ब्लागिंग जारी है।"B" इस सर्टिफिकेट धारी ब्लॉगर जहाँ बम वहाँ हम भी का पूरी निष्ठा से पालन करें हैं ।
"C" सर्टिफिकेट धारी ब्लॉगर बेचारे किस्म के होते हैं । जो समझ ही नहीं पाते कि "किस राह पे रुकना है किस छत को भिगोना है "
इन प्रमाण पत्रों के रंग से भी आप समझ लीजिये रेड ज़ोन से जुड़ना है -यलो या ग्रीन ज़ोन से । मेरी राय तो यात्री -या-माल गाड़ी से बन जाइए . ब्लॉग परिचालन प्रणाली का अनुपालन कीजिए मज़े से ब्लागिंग कीजिए । बिंदास होके
रविवार, नवंबर 02, 2008
रविवार शाम ढलते-ढलते एक ब्लॉग चर्चा !!
"प्यार करते हैं",बयाँ भी किया करतें है हज़ूर ये न करें तो बवाल मचने का पूरा खतरा है की कहीं कोई पूछ न ले कि क्या हम प्यार कर रहे थे ...?। कुछ बेतुकी, और अनाप शनाप बाते,यकीनन आहिस्ता आहिस्ता..ही समझतें है लोग यदि न करें तो क्या करें भैया एक ब्लॉगर भैया ने किसी की '' पोस्ट ",क्या चुराई यमराज ने , " गीता - सार बता दिया जैसे ही सुमो, पहलवान ने जो बताया उससे सबको कुछ और पता चला । खैर जो भी हो उधर बात ज़्यादा नहीं बढेगी बस छोटे-बड़े का ओहदा तय होगा कहानी अपने आप ख़तम हो जाएगी ।मुम्बई से बाहर जा सकता है भोजपुरी फिल्म उद्योग यदि तो "भइया""जबलपुर - "आ जाना अपन इंतज़ाम कर देंगे यहाँ सबई कछु उपलब्ध है । आपका इंतज़ार रहेगा हम तब तक रख लिए हमने "तकिए पर पैर" और भोजपुरी निर्माताओं के निर्णय का इंतज़ार कर रहे हैं । राज के राज में मनोज बाजपेई, ,की किसी सांकेतिक पोस्ट का न आना अभिव्यक्ति पर सेंसर शिप जैसा है। जानते है जल में रह कर मगर से बैर ...........?
रविवार, अक्तूबर 26, 2008
प्रवासी पंछी का का ब्लॉग !!
बुधवार, अक्तूबर 22, 2008
समीर यादव एक उत्कृष्ट यात्रा पर......!!
"इस चित्र का इस पोस्ट से अंतर्संबंध कुछ भी नही बस जैसे लगा इसे भी आपको दिखाना है सो छाप दी
समीर यादव की रचना शीलता ,चिंतन,सब साफ़ सुथरा और मोहक भी है । इनके ब्लॉग "मनोरथ '' में प्रकाशित पोष्ट शहीद पुलिस स्तरीय बन पडी है ।समीर भाई सच एक उत्कृष्ट यात्रा पर हैं ।
वहीं मेरी एक अन्य नम्रता अमीन का ब्लॉग गुजराती से हिन्दी की ओर आता नज़र आ रहा है ब्लॉग का शीर्षक है :- "કહો છો તમે કેમ?
उधर कुन्नू भिया यानी अपने कुन्नू भैया की पोष्ट ईसबार Free Submission वाला साईट बनाया हूं। देख लें...
'का वाचन ज़रूर कीजिए । निरन्तर-हमको कुछ न कुछ अच्छा करते रहना चाहिए ताकि "ब्लाग- कालोनी का नज़ारा करते वक्त उनकी नज़र ", कदाचित आप पर पड़ जाए । टुकडे अस्तित्व के -, को भी नकारा न जाए क्योंकि शून्य में से शून्य के निकलते ही शून्य फ़िर शेष रह जाता है। चलिए अब आप अपना पना पता दे दो ताकि अपन भी आपके ब्लॉग को देख आएं । मीडिया नारद पर-"राज क्यों बने राज" बांचना न भूलिए "
तो फ़िर मन को भावुक करे वाला ब्लॉग -मिस यू पापा......आज ही नहीं सदैव देखने लायक है
शुभ-रात्रि
मुकुल
शनिवार, अक्तूबर 11, 2008
हिन्दी - चिट्ठे एवं पॉडकास्ट एवं ब्लॉग वाणी से साभार :एक लाइन की चर्चा
- अंकुर राय का गाना: सुनते रुकिए भाई अभी अमर सिंह को सुन लें
- अनिल-सोनम कपूर:चार भावमुद्राएं: ,-बासी .....में उबाल
- रंग भेद, काली रे काली रे...और ये काली कलूटी के नखरे बड़े...:_उठाने तो होंगे ही ,
- शेयर बाजार को इंतजार ब्रेकआउट का=>"तोब्रेकिंग कर लीजिए "
- एनीमेशन के संसार में मानवीय संवेदनाएं=>"बस अब यहीं मिलेंगी "
- सांध्य गीत: सुबह सुबह..............?
- खाली हाथ आया है...खाली हाथ जाएगा:-तो क्या ऐ टी एम् साथ में ले जाए
- ्यों, साहित्यकारों की रजाई खींच रहे हो:-"और जब ये लोग कुरते खींच रहे थे तब आप चुप्पी थाम के बैठे थ....क्यों ? "
- लिव इन रिलेशनशिप.......चलो ब्याह का खर्चा बचा......
- त्रेता के योद्धा नहीं लड़ सकते द्वापर की लड़ाई:-और कलयुग में
- आगे चेकिंग है.........टिकट नहीं है पतली गली से सटक लो
- सबका अपना-अपना तरीका है......:- काफी पुरानी बात है भैया ताज़ा समझ रहे हैं ?
- चार सौ बीस - यहीं न रिक जाना
- भृतहरि शतकः काम पर नियंत्रण करने वाले विरले ही वीर होते हैं:- वियाग्रा के युग की उलट बासी
- कितना प्यारा बच्चा .... थैंक्स आंटी ......!!
एक लाइन की चर्चा :
- चिरकुट चर्चा:- अमर सिंह की एक और चिरकुटाई
- यह शाम फिर नहीं आयेगी:-अच्छा ....?तो शाम बंद करने का आदेश इनको पृष्ठांकित हुआ है.......!
- रावण तो हर दौर में रुलाएगा ही...:-यदि आप इनको चुन के भेजते रहे तो.....इनको चुनो मत चिनो..भाई
- इंतजार भी कितनी खूबसूरत होती है.. है ना?:- इंतज़ार करोगी तो खूबसूरत होगा और इंतज़ार करोगे तो खूबसूरत होगी आप कर रहें हैं या कर रहीं हैं ?
- मनोरोगी और हम लोग.:-veerubhai बीच में "और" लिख के कर दिया न लफडा ?
- मोमबत्ती की रोशनी में कवितापाठ :- पावर कट के दौर में इससे ज़्यादा आप भी क्या करते ?
- वीर में योद्धा बनेंगे सलमान:- फ़िर से शिकार करने जा रहे हैं चिंकारा का.....?
- जल्द शादी करना चाहता हूं: राहुल भैया क्या इस मसले को भी सरकारी मंजूरी दिलाएंगी मम्मी ?
- गुरु दत्त , एक अशांत अधूरा कलाकार !.............हमारी भी भावुक श्रद्धांजली "ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए "
- जो शास्वत है वह सत्य और परिवर्तनशील असत्य जैसे जनता और सियासत
- जोग ही जोग : मन करे तो पढ़कर जरा मुस्कुरा ले. आज कल पंडित जी का कम्प्युटर "क" नही लिख रिया है चलो भाइयो हंसो अब
- क्या आप जानते है लोक नायक जय प्रकाश नारायण को ? और भैया आप ...?
- समझौते को सार्वजनिक करें मोदी :- ममता जी से या टाटा .........?
- चुनावी मौसम में तांत्रिकों की पौ बारह:-एक दूकान दूसरी दूकान की पूरक है...?
- अब हिन्दी commenting और भी सरल :इतनी की "commenting ", .........?
- मेरा काव्य - " आहिस्ता- आहिस्ता":- और जल्दी-जल्दी कब आएगा
- नारी मन.........अंतर्मन में क्या है ?सभी समझ गए
- जब भी देखता हूं आईना:-अपनी तस्वीर देख के डर लगता है...........?
- माँ, केवल माँ भर नही होती:-साधू.....साधू...........बधाई
- शिक्षकों की शिक्षक स्वरूप सम्पत:-ये तो सच है भैया
- अमीर खुसरो की पहेलियां - :अमर सिंह की वाणी को विराम कब मिलेगा........?
- मुम्बई उनके बाप की:- जी हाँ ,हमको तो ऐसैच्च लगता चलो उनके बाप से ही पूछ लेते हैं
- दादा का सन्यास : तो अब ये रामदेव जी के साथ ........?
- इस शहर की एक लड़की जो किसी से प्रेम नहीं करती;-ट्राई करो शायद आपसे........?
- अँधेरी रात का सूरज - राकेश खंडेलवाल जी ने बिजली संकट से निजात दिलाने की कोशिश की
- आखिरी मुलाकात से अच्छी सबसे पहली वाली होती है..........मालूम तो होगा....
- रात और दिन पाँव पड़ूँ:-की भैया "chalatee रहे" गपशप लिव इन रिलेशनशिप , को लेकर अब नया मुद्दा मिल गया
- दुर्गा पूजा की वो सुनहरी शाम, जब मैंने पहली बार साड़ी पहनी थी...... अच्छी बात है मैंने भी बंगाली कुर्ता उसी दिन.....? बेहतरीन पोस्ट के लिए शुभ काम नाएं
- आइये बनाये भाषाओ के पुल और उस पर ....... हाँ तो भैया क्या करेंगे ?
- साहब तनि ई फरमवा भरवा दिजीए:- दादा भिजवा देवें भर दूंगा ?
- अब हम जा रहे हैं विमोचन में...पढ़ेंगे अपनी कविता -काहे से जाएंगे अरी भागवान अपनी जबलपुरिया उडन तश्तरी .... और काहे से ...? जल्दी आना तुम दोनों एलियंस
सभी चिट्ठाकारों को हार्दिक बधाई जिनके चिट्ठे शामिल न हो सके वे बेनाम टिपियाएँ या बांचें “एक ख़त अज्ञातानंद जी नाम !”
चिट्ठा जगत से साभार
रविवार, अक्तूबर 05, 2008
चिट्ठा-चर्चा" के बहाने :एक चर्चा और !
- 1. फुरसतिया
- 2. मोहल्ला
- 3. मानसिक हलचल
- 4. उडन तश्तरी ....
- 5. मेरा पन्ना
- 6. हिन्द-युग्म
- 7. Raviratlami Ka Hindi Blog
- 8. अज़दक
- 9. सारथी
- 10. एक हिंदुस्तानी की डायरी
- 11. भड़ास
- 12. रचनाकार
- 13. कस्बा qasba
- 14. यूनुस ख़ान का हिंदी ब्लॉग : रेडियो वाणी ----yunus khan ka hindi blog RADIOVANI
- 15. शब्दों का सफर
- 16. आलोक पुराणिक की अगड़म बगड़म
- 17. मसिजीवी
- 18. शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग
- 19. कबाड़खाना
- 20. जोगलिखी
- 21. चिट्ठा चर्चा
- 22. प्रत्यक्षा
- 23. आईना
- 24. आवारा बंजारा
- 25. दीपक भारतदीप की शब्द- पत्रिका
- 26. महाशक्ति
- 27. ॥दस्तक॥
- 28. एक शाम मेरे नाम
- 29. समाजवादी जनपरिषद
- 30. आरंभ Aarambha
- 31. mamta t .v.
- 32. दुनिया मेरी नज़र से - world from my eyes!!
- 33. कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se **
- 34. उन्मुक्त
- 35. दीपक भारतदीप की शब्दलेख-पत्रिका
- 36. महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar)
- 37. चोखेर बाली
- 38. अनामदास का चिट्ठा
- 39. नौ दो ग्यारह
- 40. नारी
पद
कविता
वाचक्नवी
mamta
PREETI BARTHWAL
उडन तश्तरी ....
vijay gaur/विजय गौड़ ,
इरफ़ान
संजीव तिवारी
वर्षा
sidharth
रजनीश के झा (Rajneesh K Jha)
Ambesh Kumar सिसोदिया
- काकेश
- pukhraj chopra
- राजीव जैन Rajeev Jain
- .विक्की
- सुजाता
- कुकू
- सिद्धार्थ जोशी
- डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर अशोक
- www.swasamvad.blogspot.कॉम
- Advocate Rashmi saurana,
- उमेश चतुर्वेदी
- Beji
- सहित सभी ब्लॉगर जिनका नाम इस पोस्ट में नहीं ला पा रहा हूँ साधुवाद की पात्रता रखतें है,सभी ब्लागर्स को हार्दिक बधाइयां
गुरुवार, अक्तूबर 02, 2008
फतवा:बाबू बाल किशन के लिए जो ब्लॉग नहीं लिखा रहे हैं.....!!
कई दिनों से टिप्पणी तैयार किए बैठे अपुन को सनक चढ़ ही गई की बाबू बालकिशन अगर इस हफ्ते नई पोस्ट न लाएं तो हम सब ब्लॉगर मिल कर इनके विरोध में mamtaजी के नेतृत्त्व में सिंगूर की तरह मोर्चा खोल देंगे ?आपको यकीं हो न हो जबलपुर से महेंद्र मिश्रा,और अपुन एन पूजा पर्व के दौरान मोर्चा निकालेंगे। बात फिट हो या मिसफिट ,इस इस हफ्ते अपन को मोर्चा निकालाना ही होगा चाहे जित्ती -परेशानी, हो । ब्लागिंग करना को नैनो चलाना नहीं है ऊंट पे बैठाना है जब ऊंट की सवारी करते हो भैये तो जान लो की जब जब समय विपरीत हो तो ऊंट पे बैठो तो भी कुत्ता कट लेता है ,सो हे बाबू बाल किशन आप एक ठोऊ ताज़ा पोस्ट छाप काहे नहीं देते । बता दीजिए आप किस दिन किस रंग के कागज पर लिखना चाहते हैं ? सो हम अपनी मोर्चे बाजी को पोस्ट पोंड कर देंगे वर्ना भाई साहब ये तय है कि लफडा तो जाएगा । चलो इस नोटिस के छपने के बाद हमको उम्मीद है कि बाबू जी लिख मारेंगे । समीर भैया आपने तो दसेक टिप्पणी रेडी रखीं ही होंगी। अगर आप गूगल बाबा को देने वाला आइडिया सोच रहे हैं तो सोचना छोड़ दीजिए क्योंकि ,हिंदी के ब्लॉगरों ने गुगल को एक से बढकर एक आइडिये आलरेडी भेज दी हैं । आपका नंबर लगना सम्भव नहीं है "बाबू बालकिशन जी ये पोस्ट केवल एक विनोद हैं बुरा मत मानिए और कहा-न-खास्ता बुरा लग ही जाए तो भैया एक टिप्पणी अपन भी टांक देवेंगे .............सही बात तो ये है की सोए ब्लागर्स को जगाने की कोशिश में हूँ "
आज तो एक कमाल हो गया मत-विमत पर एक ज़बरजस्त पोस्ट वामपंथ और महिलाएं ने उथल-पुथल मचा दी वैसे तो उनके पोस्ट सभी स्तरीय हैं
वामपंथ और महिलाएं
...मगर अक्ल उन्हें नहीं आती
मकबूल फिदा हुसैनः चित्रकार या हुस्नप्रेमी!
बाढ़, बम और करार का नशा
एकता कपूर की धार्मिक और यथास्थितिवादी स्त्रियां
ब्लॉगिंग से शेयर बाजार तक
सुंदरता और स्त्री
अब तो हर आती हुई सुबह और गुजरती हुई रात डराने-सी ल...
लड़की के जन्म पर मातम, नहीं खुशियां मनाएं
विवाहः समाज, परिवार और जात-बिरादरी का क्या काम?
...क्योंकि तुम औरत हो
रूणियों का टूटना जरूरी है क्योंकि...
भूल जाओ, यह दुनिया कभी खत्म होगी
असमानता की विभाजन रेखा को मिटाना होगा
आखिर स्त्री ईश्वर की सत्ता को चुनौती क्यों नहीं दे...
बिहार में इंसानियत जीती है, भगवान हारा है
असहमतियां भी जरूरी हैं
फोर्ब्स पत्रिका में आम-मजदूर महिलाएं जगह क्यों नही...
गुरुवार, सितंबर 04, 2008
मिसफिट-चिंतन: बसंत मिश्रा की टेस्ट पोस्ट "।। श्री गणेशाय नम:।। "
शनिवार, जुलाई 12, 2008
नीरज जी के नाम खुला ख़त
शुक्रिया आप के आलेख भी जबरदस्त होते हैं
मधुबाला की तस्वीर को परिभाषित करतीं आपकी ये
पंक्तियाँ जो मधुबाला को मोनालिसा से तौलतीं हैं
मुझे आपसे जोड़े रखने का मुख्य कारण है:-
जो बात गीता में अन्जील और कुरान में है
उसी तरह की सदाकत तेरी मुस्कान में है
और ये तो कमाल है
भीगती "नीरज" किसी की याद में
आँख को सबसे छुपाना सीखिए
यायावर जी को और विस्तार पथ प्रशस्त करने
आपने जो पोस्ट लिखी वहीं से ये दोहे
तुम साँसों में बस गयीं,बन बंसी अभिराम
तन वृन्दावन हो गया,पागल मन घनश्याम
ज्ञानी,ध्यानी,संयमी,जोगी,जती,प्रवीण
फागुन के दरबार में,सब कौडी के तीन
आपकी चयन प्रकृति का परिचय है
फ़िर जिस लज़ीज तरीके से "बेक्ड-समोसे" परोसे उसके लिए
सुबह-सुबह शुक्रिया
बेहतरीन ब्लॉग के लिए बधाइयों के ट्रक मुंबई में इस पते पर भेज दूँ
नीरज गोस्वामी
मुम्बई, महाराष्ट्र, इंडिया
किंतु पूरा पता मिलता तो उम्दा होता खैर कोई गल नहीं
आपके पूरे ब्लॉग में ये बात मुझे सटीक नहीं लगती
जिंदगी भाग दौड़ की "नीरज"
यूँ लगे नीम पर करेला है
ये मेरी सोच है बुरा मत मानिए आप जैसा मुम्बइया-भाषा:"बिंदास" व्यक्ति नीम का करेला हो ही नहीं सकता
भाऊ को जब आपने इतना बता ही दिया की :-"भाऊ मैं ही नहीं सारे ब्लोगर सिर्फ़ अपने आत्म सम्मान और संतुष्टि के लिए लिखते हैं और हमारे इस समाज में इतनी एकता है की एक आवाज़ पर इकठ्ठा हो सकते हैं"
ये सही है आपको अनवरत बधाइयां
मंगलवार, जुलाई 01, 2008
कार्टूनिष्ट राजेश कुमार दुबे
doobeyji वाले राजेश कुमार दुबे बेहद संजीदा इंसान हैं । इनके इर्द गिर्द जो भी दिखाई देता है बड़े सलीके से दिमाग की जेब में डाल लेतें हैं । जबलपुर में कार्टूनिष्टों की लम्बी क़तार तो नहीं है किंतु जितने भी हैं उनमें भाई राजेश का जबाव नहीं इन दिनों वे इन दो ब्लॉग पर काम कर रहे हैं
रंग परसाई
दुबेजी
दोनों ही ब्लॉग कार्टूनों से सजाते दुबे जी को शुभ कामनाएं
सोमवार, जून 30, 2008
नीरज जी की कलम
The Power of Truth, ब्लॉग अपने तरह का अनोखा हिन्दी ब्लाग है Neeraj Nayyar जो भोपाल और आगरा से सम्बंधित हैं
पाकिस्तान के हालात पर आंसू क्यों बहाएं
गिरावट से सबक सीखने का वक्त
भारत के लिए सिरदर्द बनेगा नेपाल
चाल चलने में लगा चीन
में आपको एक गहरी समझ में गोते लगाने वाले ब्लॉगर के लक्षण मिलेंगे । बेबाक लेखन गहरी अध्ययनशीलता और साफ़ सुथरे ब्लॉग नीरज जैसे ही लोग पेश कर सकतें है ।
बधाइयों के अलावा और कोई शब्द नहीं है मेरे पास ।
रविवार, मार्च 30, 2008
जबलपुरियों की पोस्ट
[02]समयचक्र हिन्दी ब्लॉग और हिन्दी साहित्य : श्री समीर लाल
बाल गोपालो को फूलों सा खिलाना है
[03]जबलपुर चौपाल" में उड़नतश्तरी का होली आयोजन और लुकमान की याद
[04], Sameer Lal उर्फ़ बिदेसिया जबलईपुर वारे ने छापा दिल से आवाज आई: विश्व रंगमंच दिवस पर
एक और जबलपुरिया "yunus भाई " को तो भूल ही गया था नूर साहब लाॅ कालेज में मुझे पढाते थे । मेरी अम्मी जिनका शेर
"मेरी आंखों पे लरज़ते हुए उनके आंसू,यूँ ही ठहरे रहें ता उम्र इनायत होगी ,
कद्र-ऐ-जुम्बिश में गिर के बिखर जाएंगे , और फिर उनकी अमानत में खयानत होगी "
खूब याद है, खूब याद है इरफान का वो शेर :-"जब भूक की शिद्दत से तढ़पेगें मेरे बच्चे ,दीवार पे रोटी की तस्वीर बना दूंगा "
हजूर [yunus भाई ]आप जबलपुर या एम० पी० के संगीतकारों , गायकों पर एक पोस्ट देकर जबलपुरिया धर्म निबाह दीजिए ।
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