विजयी था विजय है मेरी, करते रहो लाख मनचीते !!
मैं तो मर कर ही जीतूंगा जीतो तुम तो जीते जीते ! ************** कितनी रातें और जगूंगा कितने दिन रातों से होंगे कितने शब्द चुभेंगें मुझको, मरहम बस बातों के होंगे बार बार चीरी है छाती, थकन हुई अब सीते सीते !! ************** अपना रथ सरपट दौड़ाने तुमने मेरा पथ छीना है. अपना दामन ज़रा निहारो,कितना गंदला अरु झीना है चिकने-चुपड़े षड़यंत्रों में- घिन आती अब जीते-जीते !! ************** अंतस में खोजो अरु रोको, अपनी अपनी दुश्चालों को चिंतन मंजूषाएं खोलो – फ़ैंको लगे हुए तालों को- मेरा नीड़ गिराने वालो, कलश हो तुम चिंतन के रीते !! **************** सरितायें बांधी हैं किसने, किसने सागर को नापा है लक्ष्य भेदना आता मुझको,शायद तथ्य नहीं भांपा है विजयी था विजय है मेरी, करते रहो लाख मनचीते !! ****************