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सुनामी के बाद रेडियेशन के खतरे अंतर्राष्ट्रीय पावर लिफ़्टर्स का जापान दौरा अनिश्चितता में

                                                        भारत के लिये पदक हासिल वाले खिलाड़ियों में पावर लिफ़्टर्स का योगदान कमतर नहीं.किंतु यह खेल औलोंपिक खेलों में शामिल  न होने की वज़ह से उपेक्षा का शिकार रहा है. संजय बिल्लोरे का कहना है कि :-" राष्ट्रीय-स्तर पर आयोजित टूर्नामेंट्स के लिये तो हम स्वयम संसाधन जुटा पाते हैं किंतु अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में भागीदारी के लिये बेहद मशक्क़त करनी होती संसाधन जुटाने में . मिसफ़िट पर वेबकास्टिंग के दौरान उन्हौने बताया कि बहुत दुखी है जापान सुनामी के बाद रेडियेशन के खतरे अंतर्राष्ट्रीय पावर लिफ़्टर्स का जापान दौरा अनिश्चितता में है. तथापि वे आगामी २६ फ़रवरी २०११ को कानपुर में आयोजित राष्ट्रीय-स्तर पर आयोजित टूर्नामेंट में भाग लेंगे.

नेता रमईराम नामी नहीं सुनामी

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                    आज़ से 28 बरस पहले की बात है रमई राम यानी मुहल्ले के उदीयमान नेताजी पांव में स्लीपर डाले मालवीय चौक पे मिलते थे वहीं होती थी उनकी सुबह . और शाम तक स्ट्रीट लाईट जलवा के ही कुछ देर के लिये घर को कूच करते थे ताकि बाप-मताई को बता आवैं कि चिंता मत करियो हम ज़िंदा हैं. श्याम टाकीज (मालवीय चौक) से ही मेरा कालेज जाने का रास्ता था. रमईराम वहीं कहीं हमारे लौटने के वक़्त यानी बारह बजे के आसपास जो उनकी अल्ल सुबह होती थी. जनसहभागिता से चाय आलू बण्डा इत्यादी का सेवन कर रहे होते थे.हमको पता चल चुका था कि वे घसीट-घसाट के मैट्रिक पास हुए थे.चुनावों के समय उनकी शान देखते बनती. हर प्रत्याशी उनको पैसा देते वे सभी को आश्वासन जिताने की गारंटी.हमलोगों तक के नाम उनको रटे थे. रमई  की याद दाश्त नामों के  मामले में बहुत पक्की थी. उनकी तारीफ़ हर नेता उनके लग्गू-भग्गू यानी सभी जो सियासी थे सभी किया करते एक बार हम उनसे पूछ बैठे:-"दादा, आप का तो बड़ा नाम है हर आम-खास के बीच फ़ेमस हो आप बड़ॆ नामी हो ". वो अपनी अचानक हुई  तारीफ़ से  लजाते हुए बोले:- अरे गिरीश, नामी तो चोर भी होता है डाकू

न वो बौद्ध है न वो शिंतो

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उसे मालूम है कि वो लहरों से जीतेगा नही यह भी कि तस्वीर के अलावा  उसकी डूबती देह को  कोई  खींचेगा नहीं  वो जो जापान में रहता था हां ! कल केवल  मरे लोगों की गिनती   में शुमार जाएगा. न वो बौद्ध है                                                                                   न वो     शिंतो                    वो बस जलजले  में                 डूब के मरता हुआ               जापानी        जीता भी तो कब तक          विकिरण से मरना तय है