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बाल भवन के नन्हें कलाकारों का गौरैया के प्रति समर्पण

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बाल भवन के नन्हें कलाकारों का गौरैया के प्रति समर्पण देकर सभी भावविभोर हो गए। अभिनय के दौरान बच्चों के हावभाव ने छात्र-छात्राओं का दिल जीत लिया। इसके बाद सभी ने एक सुर में गौरैया को वापस लाने का संकल्प लिया। अवसर था विस्डम पब्लिक स्कूल और शासकीय मानकुंवर बाई कॉलेज में नईदुनिया द्वारा आयोजित नुक्कड़ नाटक का। नाटक के दौरान नन्हें कलाकारों ने गौरैया को वापस लाने की अपील की। इस दौरान उन्होंने गौरैया की उपयोगिता पर भी प्रकाश डाला। नाटक में पेड़ दादा और बैल चाचा का दर्द भी बताया गया। बच्चों ने बताया कि विलुप्त होती गौरैया अब केवल वाट्सअप और फेसबुक पर ही नजर आती है। उन्होंने सभी से अपील करते हुए कहा कि गौरैया को वापस लाने के लिए सभी से आंगन और छत पर दाना-पानी रखने कहा। नाटक में कहा गया कि घरों में लगी जालियों के कारण गौरैया अपने पास नहीं आती। इनका रहा सहयोग - निर्देशन- संजय गर्ग - गीत रचना- गिरीश बिल्लौरे - संगीत- शिप्रा सुल्लेरे - बाल भवन के उप संचालक गिरीश बिल्लौरे के निर्देशन में बाल भवन के कलाकारों ने नाटक तैयार किया। नन्हें कलाकार- वैशाली बरसैंया, आस्था अग्रहरि, वैष्णवी

माँ कहती थी आ गौरैया कनकी चांवल खा गौरैया

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फोटो साभार विकी पीडिया से  फुदक चिरैया उड़ गई भैया माँ कहती थी आ गौरैया कनकी चांवल खा गौरैया          उड़ गई भैया   उड़ गई भैया ..!! पंखे से टकराई थी तो          काकी चुनका लाई थी  ! दादी ने रुई के फाहे से बूंदे कुछ टपकाई थी !! होश में आई जब गौरैया उड़ गई भैया   उड़ गई भैया ..!! गेंहू चावल ज्वार बाजरा पापड़- वापड़, अमकरियाँ , पलक झपकते चौंच में चुग्गा भर लेतीं थीं जो चिड़ियाँ !! चिकचिक हल्ला करतीं  - आँगन आँगन गौरैया ...!! जंगला साफ़ करो न साजन चिड़िया का घर बना वहां ..! जो तोड़ोगे घर इनका तुम भटकेंगी ये कहाँ कहाँ ? अंडे सेने दो इनको तुम – अपनी प्यारी गौरैया ...!! हर जंगले में जाली लग गई आँगन से चुग्गा  भी  गुम...! बच्चे सब परदेश निकस गए- घर में शेष रहे हम तुम ....!! न तो घर में रौनक बाक़ी, न आंगन में गौरैया ...!!

गौरैया तुम ये करो

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एक खबर जागने की तुम सुबह से ही लेकर आ जाती हो ये नहीं कहती तुम भी जागो मुंडेर पर चहकना तुम्हारा जगा देता है सुनो अब से कुछ और देर बाद बताने आया करो ! मुझे सोने दो जागते ही मुझे नहीं सुननी वो गालियां जो गांव की गलियों से शहर तक देतें हैं लोग व्यवस्था वश एक दूसरे को हां गौरैया तुम ये करो उन जागे हुओं को जगा दो उनको बता दो मुझे चाहिये मेरे मेरे पुराने गांव मेरे  पुराने शहर हां गौरैया तुम ये करो