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नवरात्रि पांचवा दिवस : स्कंदमाता की आराधना

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नवरात्रि का पांचवा दिवस : स्कंदमाता की आराधना   भारतीय भक्ति दर्शन में जीवन मोक्ष के लिए जिया जाता है, जो मनुष्य स्वर्ग की कामना  के बिना भक्ति मार्ग को अपनाते हैं *मुमुक्ष* कहलाते हैं . नवरात्रि का यह दिन आराधना के साथ-साथ आत्मोत्कर्ष के लिए शक्ति की आराधना करने का दिन है। आज हम आराध्या देवी माता स्कंदमाता का स्मरण करेंगे। स्कंदमाता पथभ्रष्ट चिंतन को सही मार्ग पर लाने वाली शक्ति का प्रतीक है।     ज्योतिष कहा गया है कि जिन जातकों का बृहस्पति कमजोर है वी स्कंध माता की आराधना करें तो उनका बृहस्पति उनके अनुकूल होगा ।    स्कंदमाता को पीला रंग पसंद है साधक को आज पीले रंग के वस्त्र धारण करके मां की आराधना करनी चाहिए ।    जिन बालक बालिकाओं का विवाह नहीं हो रहा है उन्हें ना केवल पंचमी के दिन बल्कि हमेशा स्कंदमाता की आराधना करनी चाहिए। स्कंदमाता बुद्धि ज्ञान एवं प्रपंच योग के लिए अनुकूल अवसर उपलब्ध करातीं हैं ।     जिनके गुरु कुंडली में कमजोर हैं उन्हें गुरु माता अर्थात गुरुदेव की पत्नी मां महिला शिक्षिका या ज्ञान देने वाली किसी भी महिला के प्रति समान भाव रखना होगा। जातक को यथा

नवरात्रि का तीसरा दिन : माता चंद्रघंटा की आराधना

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आज 4 अप्रैल 2022 को नवरात्र का तीसरा दिन है और इस दिन हम मां चंद्रघंटा की आराधना करेंगे। मां चंद्रघंटा की विग्रह की आराधना के लिए जिस श्लोक से आवाहन किया जाएगा वह निम्नानुसार पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता |  प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता  यदि यह श्लोक आप याद ना कर पाए तो निम्नलिखित श्लोक को पढ़िए *या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।* *नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।*     देवी के स्वरूप को समझने के लिए निम्न विवरण को अवश्य देखिए माँ का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घंटे का आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके दस हाथ हैं। इनके दसों हाथों में खड्ग आदि शस्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित हैं। इनका वाहन सिंह है। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्यत रहने की होती है।   मां चंद्रघंटा साधक को आत्मिक शांति एवं दुष्ट पर शक्तियों से मुक्त करती हैं। सनातन पूजा प्रणाली में केवल मूर्ति पूजा का महत्व ही नहीं है बल्कि साकार आराधना को भी महत्वपूर्ण मा

नवरात्रित् द्वितीय दिवस की आराध्या देवी ब्रह्मचारिणी के बारे में

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                 हिमालय पुत्री की मनोकामना थी  कि उनका विवाह  शिव के साथ हो।  देवर्षि नारद उनकी मनोकामना की पूर्ति के लिए उन्हें कठोर तपस्या की सलाह देते हैं । सलाह मानते हुए हिमालय सुता ने 1000 वर्ष तक शिव की कठोर आराधना की और इस आराधना तपस्या के दौरान उन्होंने 1000 वर्ष केवल फल फूल खाए और 100 वर्षों तक केवल शाक आदि खाकर जीवन ऊर्जा प्राप्त की।    आज यानी 3 अप्रैल 2022 को नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना के लिए हमें निम्नानुसार क्रियाएं करनी चाहिए...  मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को अपने कार्य में सदैव विजय प्राप्त होता है। मां ब्रह्मचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखाने वाली हैं। माता की भक्ति से व्यक्ति में तप की शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य जैसे गुणों में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा- सामान्य रूप से कैसे करें • इस दिन सुबह उठकर जल्दी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें। • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। • मां दुर्गा का गंगा जल अथवा पवित्र नदी का जल जो स्थानीय रूप से उपलब्ध है स