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6.5.16

मैं .... पानी हूँ पानी हूँ पानी हूँ

आभार : KNICK N KNACK BLOG

तपता हूँ 
पिघलता भी हूँ ....
बह के तुम तक आना मुझे 
अच्छा लगता है ... 
बूंदों की शक्ल में 
कल बरसूँगा ...... चकवे का गला 
सूख जो  गया है .... 
टिहटिहाती 
टिटहरी की तड़प 
सुनी है न तुमने ...
सबके लिए आउंगा 
बादल से रिमझिम रिमझिम से टपटप
बूँद बूँद समा जाउंगा तुममें ...
धरा में .... नदियों में ... 
कंदराओं में ..... तुम 
मेरी कीमत न लगा सकते हो ..
न किसी को चुका सकते हो ...
मैं ....... अनमोल हूँ 
मैं .......बहुमोल   हूँ 
मैं .... पानी हूँ पानी हूँ पानी हूँ 
तुम सब प्यासे हो .....प्यासे हो ......प्यासे हो 


15.5.11

डॉ अ कीर्तिवर्धन की कविता : आँख का पानी

आँख का पानी
होने लगा है कम अब आँख का पानी,
छलकता नहीं है अब आँख का पानी|
कम हो गया लिहाज,बुजुर्गों का जब से,
मरने लगा है अब आँख का पानी|
सिमटने लगे हैं जब से नदी,ताल,सरोवर
सूख गया है तब से आँख का पानी|
पर पीड़ा मे बहता था दरिया तूफानी
आता नहीं नजर कतरा ,आँख का पानी|
स्वार्थों कि चर्बी जब आँखों पर छाई
भूल गया बहना,आँख का पानी|
उड़ गई नींद माँ-बाप कि आजकल
उतरा है जब से बच्चों कि आँख का पानी|
फैशन के दौर कि सबसे बुरी खबर
मर गया है औरत कि आँख का पानी|
देख कर नंगे जिस्म और लरजते होंठ
पलकों मे सिमट गया आँख का पानी|
लूटा है जिन्होंने मुल्क का अमन ओ चैन
उतरा हुआ है जिस्म से आँख का पानी|
नेता जो बनते आजकल,भ्रष्ट,बे ईमान हैं
बनने से पहले उतारते आँख का पानी|



डॉ अ कीर्तिवर्धन 09911323732डॉ अ कीर्तिवर्धन, की कविता : आँख का पानी
डा० अ कीर्तिवर्धन


अ कीर्तिवर्धन के ब्लाग :-   
संवाद एवम समंदर  

25.9.08

पता नहीं उनको ज़टिल क्यों लगे मलय ?

जिनको मलय जटिल लगें उनको मेरा सादर प्रणाम स्वीकार्य हो मुझे डाक्टर साहब को समझाने का रास्ता दिखा ही दिया उन्होंने जिनको मेरे पड़ोसी मलय जी जटिल लगते हैंलोगो का मत था की मलय जी पक्के प्रगतिशील हैं वे धार्मिक सामाजी संसकारों की घोर उपेक्षा करतें हैं .....हर होली पे मलय को रंग में भीगा देखने का मौका गेट नंबर चार जहाँ मलय नामक शिव की कुटिया है में मिलेंगे इस बार तो गज़ब हो गया मेरी माता जी को पितृ में मिलाना पिताजी ने विप्र भोज के लिए मलय जी को न्योत लिया मुझे भी संदेह था किंतु समय पर दादा का आना साबित कर गया की डाक्टर मलय जटिल नहीं सहज और सरल है
अगर मैं नवम्बर की २९वीं तारीख की ज़गह १९ को पैदा होता तो हम दौनो यानी दादा और मैं साथ-साथ जन्म दिन मनाते हर साल खैर..........!
हाँ तो जबलपुर की लाल मुरम की खदानें जहाँ थीं [अभी कुछ हैं शायद ]उसी सहसन ग्राम में १९ -११-१९२९ को जन्में मलय जी की जीवन यात्रा बेहद जटिल राहों से होकर गुज़री है किंतु दादा की यात्रा सफल है ये सभी जानते हैंदेश भर में मलय को उनकी कविता ,कहानी,की वज़ह से जाना जाता हैजो इस शहर का सौभाग्य ही तो है की मलय जबलपुर के हैंवे वास्तव में सीधी राह पे चलते हैं , उनको रास्तों में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के
प्रबंध करते नहीं बनतेवे भगोडे भी नहीं हैं सच तो ये है कि "शिव-कुटीर,टेली ग्राफ गेट नंबर चार,कमला नेहरू नगर निवासी कोई साहित्यिक सांस्कृतिक टेंट हाउस नहीं चलाते , बस पडतें हैं लिखतें हैं जैसे हैं वैसे दिखतें हैं
उनसे मेरा वादा है "दादा,आपके रचना संसार पर मुझे काम करना है "
उन्होंने झट कहा "आप,जैसा चाहो ......................!"
ज्ञानरंजन जी के पहल प्रकाशन से प्रकाशित मलय जी की पुस्तक ''शामिल होता हूँ '' में ४२ कवितायेँ इस कृति से जिसमें उनकी १९७३ से १९९१ के मध्य लिखी गई कविताओं से एक कविता के अंश का रसास्वादन आप भी कीजिए
"पानी ही बहुत आत्मीय "
पानी
अपनी तरलता में गहरा है
अपनी सिधाई में जाता है
झुकता मुड़ता
नीचे की ओर
जाकर नीचे रह लेता है
अंधे कुँए तक में
पर पानी
अपने ठंडे क्रोध में
सनाका हो जाता है
ठंडे आसमान पर चढ़ जाता है
तो हिमालय के सिर पर
बैठकर
सूरज के लिए भी
चुनौती हो जाता है
पर पानी/पानी है
बहुत आत्मीय
बहुत करोड़ों करोड़ों प्यासों का/अपना
रगों में खून का साथी /हो बहता है
पृथ्वी-व्यापी जड़ों से होकर
बादल की खोपडी तक में
वही होता है-ओर अपने
सहज स्वभाव के रंगों से
हमको नहलाता है
सूरज को भी/तो आइना दिखाता है
तब तकरीबन पानी
समय की घंटियाँ बजाता है
और शब्दों की
सकेलती दहार में कूदकर
नदी हो जाने की /हाँक लगाता है
पानी बहा जा रहा है
पिया जा रहा है जिया जा रहा है

मलय जी की यह रचना लम्बी है पाठकों के लिए एक अंश छाप रहा हूँ आप सुधि पाठक चाहेंगे तो शेष भाग अगली पोस्ट में प्रकाशित कर ही दूंगा,
मुझे यकीन है कि "रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून ..."को विस्तार देती या रचना आपको पसंद आयी होगी ............और हाँ मलय जी जटिल नहीं हैं इस बात की पुष्टि आप ख़ुद ही कर सकतें हैं.......


9.8.08

इस पोस्ट को मत पढिए

दिल्ली की बारिश और बीजिंग को लेकर लाइव इंडिया की स्टोरी देख के लगा कि ओलम्पिक खेल से ज़्यादा भारत की इन्सल्ट तुलना करके करना ही ख़बर है .... भैया प्रोड्यूसर साहब सरकार राज़ से ऐसी क्या गलती हुई कि आप दिल्ली की लगातार बरसात के बाद सडकों गलियों में भरे पानी को दो साल बाद भारत में होने वाले खेल महा कुम्भ से जोड़ कर दिखाया जिसका न तो कोई अर्थ था और न ही ज़रूरत कि इस देश की किसी अन्य देश से तुलना कर भारत को नीचा दिखाएं ।
मेरठ में उड़नतश्तरीके बारे जानकार खुशी हुई हुई ही थी की पुण्य प्रसून बाजपेयी के आगमन की ख़बर मेल इनबाक्स से निकलने को फड़फड़ा रही थी ।मैनें आनन् फानन बाजपेयी जी का स्वागत कर दिया और कह दिया है कि उडन तश्तरी .... की तरह औरों ब्लॉग को टिप्पणी तिलक ज़रूर कीजिए । अब ये कोई बात है जो ब्लॉग पर लिखूं .....तो फ़िर ब्लॉग पे लिखने के लिए क्या विषय चुक गए हैं कटाई नहीं विषय के चुक जाने का संकट अपुन को कतई नहीं अपन यानी "अपुन जेक ऑफ़ आल मास्टर ऑफ़ नन" जो ठहरे....ठेल देंगें कछु भी । यदि कुछ न सूझा तो कट पेस्ट थेरेपी जिंदाबाद ..... !
चीन में ओलोम्पिक की शुरुआत ,तिब्बतियों का विरोध,सिंग इज़ किंग , तो आपने बांच सुन लिया होगा तीन अट्ठे के बारे में ख़बर रटैया चेनल के ज्योतिषीयों ने खूब बता दिया है इस बीच मैं आपको बता दूँ आज अगले जनम मोहे बेटवा न कीजो... नेट पे आ चुकी उन्हीं की है जो समीर लाल है ५०-६० टिप्पणी तिलक ख़ुद तश्तरी में परसवातें है तब कहीं उनका.....सारी उनकी पोस्ट का पेट भरता है । बिग बी,वगैरा के ब्लॉग'स पर अपुन आप कम ही आजा रहें हैं .... अब भैया दोस्ती बराबरी वालों से ही होगी न......?

[इधर एक फोटो था जो निकाल दिया ]

टी आर पी के चक्कर में न जाने कितने जतन करने होते हैं अपुन भी एक बार अजमाइच्च....लेतें हैं ।

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...