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आतंकवाद लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

48 घंटे में होगी कार्रवाई : लकड़ी के आगे नाची मकड़ी

मेरी पिछली पोष्ट स्मरण - कीजिए . आज रात यानी 11:30 से वाशिंगटन पोस्ट के हवाले से भारत सरकार की कूटनीतिक कोशिशों की सफलता का विस्तृत समाचार प्रसारित हुआ . भारतीय कूट्नीतिक की सफलता ही कहा जाएगा । इस समाचार के आने से उन सारे मुंहों पर फिलहाल ताले से पड़ गए हैं जो कल तक सरकार पर निशाना साध रहे थे । मैं एक अन्य पोस्ट में आंशिक परिवर्तन करना चाहता हूँ एक सूत्र और जोड़ कर"कि सिम कार्ड्स की खरीद फरोख्त" को और अधिक सख्त कर देना चाहिए . इस मसाले पर नियामक आयोग को अब कार्रवाई करनी चाहिए , जहाँ तक आई डी फ्रूफ की ज़रूरत का सवाल है किसी भी स्थिति में आई डी प्रूफ़स का पुन: परीक्षण करना अब बेहद ज़रूरी हो गया है। नवभारत टाइम्स -की चिंता पर भी जायज़ है। अब इन भैया लोगों के - द्वारा मार्च निकाला जा रहा है इनके लिए हमारी शुभ कामनाएं भारत की अस्मिता से खिलवाड़ करने वाली ताक़तों के विरुद्ध जो जूनून अभी पनपा है उसे सभी भारतवासी कायम रखें देश की सुरक्षा के लिए यही ज़ज्बात ज़रूरी हैं मित्रो तरक्की के साथ सुरक्षा सर्वोपरी है

सही साधा सटीक इरादा ज़ाहिर किया है सरकार

" " राजीव सारस्वत को भाव पूर्ण श्रद्धांजलियां " भारत के वीर सपूतों को आखिरी-अभिवादन के साथ मित्रो भारत को पाकिस्तान के साथ कठोर बयान जारी करने के अलावा इन बिन्दुओं पर भी विचार करना है हमें # पाकिस्तान के साथ सांस्कृतिक/साहित्यिक/आर्थिक संबंधों पर तुरंत ही समाप्त कर दी जाएँ # स्टार प्लस सोनी जी टी वी इस देश के कलाकारों को लेकर बनने वाले रियलिटी शो से उन कलाकारों को बिदा कर देना चाहिए # इमरान खान जैसे क्रिकेटर'स के विज्ञापन दिखाना बंद किया जाए भारत सरकार के नए विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी का ताज़ा बयान स्पष्ट करता है कि देश की अस्मिता को अब चुनौती देना आसान कदापि नहीं है। सही साधा सटीक इरादा ज़ाहिर किया है सरकार नें इस मसले पर सभी की एक धारणा एक संकल्प होना चाहिए । ताकि कड़ाई जारी रहे. आतंक और आतंकी सपोलों को विश्व के मानचित्र से समाप्त कराने के लिए सबसे अहम् बात ये होगी कि - " नकारात्मक विचार और विचार धाराएँ सख्ती से समाप्त किए जाएँ " भारत ही विश्व को ज़रूरत है सर्वत्र शान्ति की ताकि उत्कृष्टता के साथ मानवीय विकास के परिणाम लाए जा सकें . यहाँ स्पष्ट करदेना चा

सुनो मीडिया वालो हिम्मत है तो इमरान खान वाला विज्ञापन दिखाना बंद कर दो

भारत के वीर सपूतों को आखिरी - अभिवादन के साथ मित्रो भारत को पाकिस्तान के साथ कठोर बयान जारी करने के अलावा इन बिन्दुओं पर भी विचार करना है हमें # पाकिस्तान के साथ सांस्कृतिक / साहित्यिक / आर्थिक संबंधों पर तुरंत ही समाप्त कर दी जाएँ # स्टार प्लस सोनी जी टी वी इस देश के कलाकारों को लेकर बनने वाले रियलिटी शो से उन कलाकारों को बिदा कर देना चाहिए # इमरान खान जैसे क्रिकेटर ' स के विज्ञापन दिखाना बंद किया जाए # क्रिकेट के लिए ज़ारी विदेश मंत्री का बयान ठीक है , इन सूत्रों पर अमल करना अब ज़रूरी है

आ मीत लौट चलें

आ ओ मीत लौट चलें गीत को सुधार लें वक़्त अर्चना का है -आ आरती संवार लें । भूल हो गई कोई गीत में कि छंद में या हुआ तनाव कोई , आपसी प्रबंध में भूल उसे मीत मेरे सलीके से सुधार लें ! छंद का प्रबंध मीत ,अर्चना के पूर्व हो समेटी सुरों का अनुनाद भी अपूर्व हो, अपनी एकता को रेणु-तक प्रसार दें । राग-द्वेष,जातियाँ , मानव का भेद-भाव भूल के बुलाएं पार जाने एक नाव ! शब्द-ध्वनि-संकेत सभी आज ही सुधार लें ! इस गीत में सच आज जो बात कहनी चाही थी कौन सुनता इस गीत का संदेश खो गया था कुछ ने वाह वाह करके मेरी आवाज़ भुला दी कुछ अर्थ खोजते रहे फ़िर निरर्थक समझ के छोड़ दिया . कुछ के लिए तो फिजूल था कवि । मेरी यानी कवि की आत्मा को मारने वालो "तुम समझो देश तुम्हारे लिए खिलौना कतई न बने इस बात का तमीज इस भारत नें सीख लिया है " आज मैं एक सूची जारी करना चाहता हूँ :- इसे स्वीकारना ही होगा भारत में कोई भी व्यक्ति या समुदाय किसी भी स्थिति में जाति, धर्म,भाषा,क्षेत्र के आधार पर बात करे उसका बहिष्कार कीजिए । लच्छेदार बातों से गुमराह न हों । कानूनों को जेबी घड़ी बनाके चलने वालों को सबक सिखाएं ख़ुद भी भारत के संविधा

आतंक वाद कबीलियाई सोच का परिणाम है

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इस पोस्ट के लिखने के पूर्व मैंने यह समझने की कोशिश की है कि वास्तव में किसी धर्म में उसे लागू कराने के लिए कोई कठोर तरीके अपनाने की व्यवस्था तो नहीं है........?किंतु यह सत्य नहीं है अत: यह कह देना कि "अमुक-धर्म का आतंकवाद" ग़लत हो सकता है ! अत: आतंकवाद को परिभाषित कर उसका वर्गीकरण करने के पेश्तर हम उन वाक्यों और शब्दों को परख लें जो आतंकवाद के लिए प्रयोग में लाया जाना है. इस्लामिक आंतकवाद , को समझने के लिए हाल में पाकिस्तान के इस्लामाबाद विस्फोट , पर गौर फ़रमाएँ तो स्पष्ट हो जाता है की आतंक वाद न तो इस्लामिक है और न ही इसे इस्लाम से जोड़ना उचित होगा । वास्तव में संकीर्ण कबीलियाई मानसिकता का परिणाम है। भारत का सिर ऊँचा करूँगा-कहने वाले आमिर खान,आल्लामा इकबाल,रफी अहमद किदवई,और न जाने कितनों को हम भुलाएं न बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे घटना क्रम को बारीकी से देखें तो स्पष्ट हो जाता है की कबीलियाई समाज व्यवस्था की पदचाप सुनाई दे रही थी जिसका पुरागमन अब हो चुका है, विश्व की के मानचित्र पर आतंक की बुनियाद रखने के लिए किसी धर्म को ग़लत ठहरा देना सरासर ग़लत है । हाँ यहाँ