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सोमवार, नवंबर 15, 2010

फ़ोटो-प्रदर्शनी :मुकुल यादव


संगमरमरी सौन्दर्यानुभूति का संकेत
फ़ोटो ग्राफ़्स कैमरे से नहीं दृष्टि से लिये गये
मेरे ही नहीं पूरे शहर के दिल में बसतें हैं रजनीकांत,अरविन्द,मुकुल,
साभार:नई दुनिया
और बसें भी क्यों न शशिनजी ने फ़ोटो-ग्राफ़ी  एक साधना के रूप करते थे जिसका प्रभाव घर परिवार पर पड़ना ही था. सपाट बात है कि प्रकृति को हर हाल में बचाना ज़रूरी है. प्रदर्शनी का उद्देश्य भी इससे इतर नहीं. "मिफ़ोसो"मिलन-फ़ोटो-ग्राफ़ी सोसायटी , जबलपुर के तत्वावधान में आयोजित इस प्रदर्शनी के रानी दुर्गावती संग्रहालय में आयोजि परिसंवाद में "भेड़ाघाट, पर्यटन एवम संरक्षण " विषय पर कुल कर चर्चा भी हुई. सभी वक्ता इस बात पर जोर दे रहे थे कि पर्यटन-विकास के नाम पर अब कोई विद्रूपण स्वीकार्य न होगा. अमृतलाल वेगड़ जी इस बात को लेकर खासे चिंतित लगे. उनका कथन था :- "ये चित्र जितनी खूब सूरती से लिये गये हैं उसके लिये मुकुल यादव को आशीर्वाद .क्योंकि फ़ोटो यह भी संकेत दे रहें हैं कि इस नैसर्गिक सुन्दरता को बचाना भी है "श्रीयुत श्याम कटारे जी, श्री रामेश्वर नीखरा, भूगर्भ-शास्त्री डा०विजय खन्ना,डा० अजित वर्मा, सहित सभी ने आस्था-सरिता को प्रदूषण से मुक्त रखने की अपेक्षा अपने अपने शब्दों में की.डा०राजकुमार तिवारी"सुमित्र",पं०मदन तिवारी,राजेन्द चंद्रकांत राय,डा०गोविंद बरसैंया, और रजनीकांत यादव जी ने विमर्श में हिस्सा लिया. आज़ दिनांक १५ नवम्बर २०१० को एक डाक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की जावेगी . 


नोट:- मुकुल से वार्ता एवम उनके फ़ोटो कुछ दिनों बाद"मिसफ़िट" पर ही 

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