शारदे मां शारदे मन को धवल विस्तार दे
दिव्य चिंतन नीर अविरल गति विनोदित देह की ! छब तुम्हारी शारदे मां सहज सरिता नेह की !! घुप अंधेरों में फ़ंसा मन ज्ञान दीपक बार दे …!! शारदे मां शारदे मन को धवल विस्तार दे मां तुम्हारा चरण - चिंतन , हम तो साधक हैं अकिंचन - डोर थामो मन हैं चंचल , मोहता क्यों हमको कंचन ? ओर चारों अश्रु - क्रंदन , सोच को विस्तार दे …!! शारदे मां शारदे मन को धवल विस्तार दे अर्चना चावजी के सुरों में सुनिये यह वंदना दे