संदेश

सव्यसाची लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तुम बिन माँ भावों ने सूनेपन के अर्थ बताए !!

चित्र
  मां सव्यसाची प्रमिला देवी की पुण्यतिथि  28.12.2013  पर पुनर्पाठ  सव्यसाची स्व. मां         यूं तो तीसरी हिंदी दर्ज़े तक पढ़ी थीं मेरी मां जिनको हम सब सव्यसाची कहते हैं क्यों कहा हमने उनको सव्यसाची क्या वे अर्जुन थीं.. कृष्ण ने उसे ही तो सव्यसाची कहा था..? न वे अर्जुन न थीं.  तो क्या वे धनुर्धारी थीं जो कि दाएं हाथ से भी धनुष चला सकतीं थीं..?  न मां ये तो न थीं हमारी मां थीं सबसे अच्छी थीं मां हमारी..!  जी जैसी सबकी मां सबसे अच्छी होतीं हैं कभी दूर देश से अपनी मां को याद किया तो गांव में बसी मां आपको सबसे अच्छी लगती है न हां ठीक उतनी ही सबसे अच्छी मां थीं .. हां सवाल जहां के तहां है हमने उनको सव्यसाची   क्यों कहा..! तो याद कीजिये कृष्ण ने उस पवित्र अर्जुन को "सव्यसाची" तब कहा था जब उसने कहा -"प्रभू, इनमें मेरा शत्रु कोई नहीं कोई चाचा है.. कोई मामा है, कोई बाल सखा है सब किसी न किसी नाते से मेरे नातेदार हैं.." यानी अर्जुन में तब अदभुत अपनत्व भाव हिलोरें ले रहा था..तब कृष्ण ने अर्जुन को सव्यसाची सम्बोधित कर गीता का उपदेश दिया.अर्जुन से मां  की

रवींद्र बाजपेई सकारात्मक पत्रकारिता के संवाहक : श्री अनिल शर्मा

चित्र
मंचासीन अतिथिगण जबलपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री अनिल शर्मा सरस्वती पूजन करते हुए  विद्युत मंडल के पी आर ओ श्री राकेश पाठक  वरिष्ठ पत्रकार श्री रवींद्र बाजपेई  जबलपुर 24 दिसम्बर 2011 को स्थानीय फ़न-पार्क में जबलपुर का प्रतिष्ठापूर्ण समारोह    स्वर्गीय हीरालाल गुप्त स्मृति समारोह 2011  सम्पन्न हुआ. मुख्य अथिति के रूप में बोलते हुए सम्मान का आधार ही त्याग और तपस्या है. आज़ जिनकी स्मृति में सम्मान दिया जा रहा है वे पत्रकारिता एवम सम्पूर्ण मानव जाति की सेवा के लिये कृत संकल्पित थे मैं ऐसे व्यक्तित्वो को नमन करते हुए  मित्र रवींद्र बाजपेई को शुभकामनाएं देता हूं कि वे मूर्धन्य पत्रकार हीरालाल गुप्त स्मृति प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित हुए हैं. युवा पत्र-संचालक भाई आशीष शुक्ल को मेरी अशेष शुभकामनाएं हैं जिन्हैं त्याग की मूर्ति सव्यसाची मां प्रमिला देवी की स्मृति में सम्मानित किया .  अध्यक्षीय आसंदी से बोलते हुए समाज सेवी एवम जबलपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री अनिल शर्मा ने कहा:- "रवींद्र बाजपेई सकारात्मक पत्रकारिता के संवाहक हैं उनका सम्मान करना

लिमटि खरे,समीर लाल स्वर्गीय हीरा लाल गुप्त स्मृति समारोह “सव्यसाची प्रमिला देवी अलंकरण ” से विभूषित हुए

चित्र
बवाल की पोस्ट : सम्मान समारोह, जबलपुर ,और संदेशा पर संजू बाबा की पोस्ट  में विस्तार से जानकारी के अतिरिक्त आप को अवगत करा देना ज़रूरी है कि यह कार्यक्रम विगत 15 वर्षों से सतत जारी है . सम्मान देने की परम्परा  14 वर्षों से जारी है पूर्व के आलेखों में कतिपय स्थान पर 12 वर्ष मुद्रित हुआ था उसका मुझे व्यक्तिगत खेद है. जल्दबाजी में की गई गलती को सुधि पाठक क्षमा करेंगे.मामला केवल बुज़ुर्ग पीढ़ी के सम्मान का था. न तो हम पत्रकार हैं न ही आज की पत्रकारिता में शामिल किन्तु जब अखबारों में हम युवा साथियों को साहित्य की उपेक्षा एवं पत्रकारिता में हल्का सा पीलापन नज़र आने लगा तो बस हमारा जुनून हमारे सर चढ़ गया. कि चलो अब इस स्तम्भ की मदद की जाए और बताया जावे कि साहित्य से कितना करीब होते हैं अखबार जबलपुर में इसका स्वरुप क्या था. अब क्या होता नज़र आ रहा है ? बस इन सवालों का ज़वाब खोजने निकले चार हम युवा और  तय हुआ कि  स्व० गुप्त जी को याद करें हर साल और जाने उनकी पीढ़ी से ही इस बारे में.  जानें विस्तार से देखिये यहां " Girishbillore's Weblog " __________________________________ * श्री