प्रयाग राज़ की मीट : आप अपनी कुंठा में हमें शामिल मत कीजिए
ब्लागरों की ब्ला-ब्ला सच बला बला के रूप में मुझे तो दिखाई दे रही है मुझे तो अंदेशा है कि इस पोस्ट को लिखा नहीं लिखाया गया है सो मित्रों आज पांडे जी के ज़रिये को साफ़ साफ़ बता दूँ की मुझे जबलपुर को लेकर किए गए इस कथन से आपत्ति है जो उन्हौनें लिखा हिन्दूवादी ब्लागरों को दूर रखकर आयोजक सेमिनार को साम्प्रदायिका के तीखे सवालों पर जूझने से तो बचा ले गये लेकिन विवाद फिर भी उनसे चिपक ही गये। सेमिनार से हिन्दूवादी या, और भी साफ शब्दों में कहें तो धार्मिक कटटरता की हद तक पहुंच जाने वाले तमाम ब्लागर नदारद रहे। यहां न तो जबलपुर बिग्रेड मौजूद थी और न साइबर दुनिया में भी हिन्दूत्तव की टकसाली दुनिया चलाने में यकीन रखने वाले दिखायी पडे। इस सवाल पर जब कुछ को टटोला गया तो कुछ ब्लागरों ने अपने छाले फोडे और बताया कि दूसरे ब्लागरों को तो रेल टिकट से लेकर खाने-पीने और टिकाने तक का इंतजाम किया गया लेकिन उन्हें आपैचारिक तौर से भी नहीं न्यौता गया। अब वे आवछिंत तत्व की तरह इसमें शामिल होना नहीं चाहते है। उन्होंने इस आयोजन को राष्टीय आयोजन मानने से भी इंकार कर दिया। अब उनकी इस शिकायत का जवाब त