स्वर्गीय श्री हीरा लाल गुप्ता पत्रकारिता के क्षितिज पर एक गीत सा , जिसकी गति रुकी नहीं जब वो थे ..तब .. जब वो नहीं है यानी कि अब । हर साल दिसंबर की 24 वीं तारीख़ को उनको चाहने वाले उनके मित्रों को आमंत्रित कर सम्मानित करतें हैं । यह सिलसिला निर्बाध जारी है 1998 से शुरू किया था मध्य-प्रदेश लेखक संघ जबलपुर एकांश के सदस्यों ने । संस्था तो एक प्रतीक है वास्तव में उनको चाहने वालों की की लंबी सूची है । जिसे इस आलेख में लिख पाना कितना संभव है मुझे नहीं मालूम सब चाहतें हैं कि मधुकर जी याद किये जाते रहें । मधुकर जी जाति से वणिक , पेशे से पत्रकार , विचारों से विप्र , कर्म से योगी , मानस में एक कवि को साथ लिए उन दिनों पत्रकार हुआ करते थे जब रांगे के फॉण्ट जमा करता था कम्पोजीटर फिर उसके साथ ज़रूरत के मुताबिक ब्लाक फिट कर मशीनिस्ट को देता जो समाचार पत्र छपता था । प्रेस में चाय के गिलास भोथरी टेबिलें खादी के कुरते पहने दो चार चश्मिश टाइप के लोग जो सीमित साधनों में असीमित कोशिशें करते नज़र आते थे । हाँ उन दिनों अखबार का दफ्तर किसी मंदिर से कमतर नहीं लगता था . मुझे नहीं मालूम आप को क्या लगता होगा ये जान कर ......?क्योंकि, उस दौर के प्रेसों के प्रवेश-द्वार से ही स्याही की गंध नाक में भर जाती थी... को मेरा मंदिर मानना । अगर अब के छापाखाने हायटेक हों गए हैं तो मुझे इसमें क्यों एतराज़ होने चला ..... भाई मंदिर भी तो हाईटेक हैं । चलिए छोडें इस बात को "बेवज़ह बात बढाने की ज़रूरत क्या है...?" हम तो इस बात कि पतासाज़ी करनी है "आखिर कौन हैं ये -हीरालाल जी जिनको याद करता है जबलपुर "
गुप्ता जी को जानने प्रतीक्षा तो करनी होगी ..... तब तक सुधि पाठक ये जान लें कि मधुकर जी जबलपुर की पत्रकारिता की नींव के वो पत्थर हैं जिनको पूरा मध्य-प्रदेश संदर्भों का भण्डार मानता था । सादा लिबास मितभाषी , मानव मूल्यों का पोषक , रिश्तों का रखवाला, व्यक्तित्व सबका अपना था , तभी तो सभी उनको याद कर रहें है.
जन्म:- मधुकर जी का जन्म उत्तर प्रदेश के फ़तेहपुर जिले के बिन्दकी ग्राम में हुआ । जन्म के साल भर बाद पिता लाला राम जी को जबलपुर ने बुलाया रोज़गार के लिए । साथ में कई और भी परिवार आए जो वाशिंदे हों गए पत्थरों के शहर जबलपुर के । जबलपुर जो संतुलित चट्टानों का शहर है.... जबलपुर जो नर्म शिलाओं का नगर है । फूताताल हनुमान ताल सूपाताल मढाताल, देवताल , खम्बताल के इर्द गिर्द लोग बसते थे तब के जबलपुर में लालाराम जी भी बस गए खम्बताल के नजदीक जो अब शहर जबलपुर का सदर बाज़ार है। मायाराम सुरजन जी ने गुप्त जी को 1992 के स्मृति समारोह के समय याद करते हुए बताया की "1950 में नव-भारत के दफ्तर में कविता छपवाने आए सौम्य से , युवक जिसने तत्समय छपने योग्य छायावादी रचना उन्हें सौंपी , रचना से ज़्यादा मधुकर उपनाम धारी गुप्ता जी ही पसंद आ गए. बातों -बातों मायाराम जी जान गए की गुप्ता जी बी॰ए॰ पास हैं . पत्रकारिता में रूचि देखते हुए उन्हें नवभारत में ही अवसर दिया
उनको चाहने वालों में मायाराम जी सुरजन ,दुर्गाशंकर शुक्ल ,कुञ्ज बिहारी पाठक , जीवन चंद गोलछा, पं.भगवतीधर बाजपेई,डॉ. अमोलक चंद जैन,मेरे गुरुदेव हनुमान वर्मा,विजय दत्त श्रीधर,अजित भैया[अजित वर्मा] श्याम कटारे , गोकुल शर्मा , फ़तेहचंद,गोयल,विश्व नाथ राव , फूल चंद महावर, निर्मल नारद , शरद अग्रवाल,पुरंजय चतुर्वेदी, माता प्रसाद शुक्ल आदि ने मिलकर उनकी पुण्य तिथि 23 मई 1992 को स्मृति दिवस मनाया उन्हें याद किया .
फ़िर चाहने वालों ने मध्य प्रदेश लेखक संघ के साथ मिलकर मधुकर जी का जन्म दिवस स्मृति दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया . 24 दिसम्बर को हर साल शहर के लोग याद गुप्त जी के बहाने जुड़्तें ही हैं . परिजन उनकी याद में किसी प्रतिष्ठित पत्रकार को बुलाकर सम्मानित करतें है । उनकी स्मृति में 1992....के बाद 1997 से लगातार गुप्त जी के जन्म दिन पर लोग एकत्र हों कर सम्मानित करतें है उनकी पीडी के सम्मानित पत्रकारों को । इस क्रम में
- श्री ललित बक्षी जी 1998,
- "बाबूलाल बडकुल 1999,
- "निर्मल नारद 2000,
- "श्याम कटारे 2001
- "डाक्टर राज कुमार तिवारी "सुमित्र" 2002
- "पं ० भगवती धर बाजपेयी 2003,
- "मोहन "शशि" 2004
- "पं ० हरिकृष्ण त्रिपाठी एवं प्रो० हनुमान वर्मा 2005 (को संयुक्त )
- " अजित वर्मा 2006
- "पं०दिनेश् पाठक 2007
- श्री सुशील तिवारी 2008
अपने परिवार से सम्मान देने की पेशकश की और पिता जी श्री काशी नाथ बिल्लोरे ने
युवा पत्र कार को सम्मानित करने की सामग्री मय धनराशी के दे दी वर्ष 2000 से
- श्री मदन गर्ग 2000
- " हरीश चौबे 2001
- " सुरेन्द्र दुबे 2002
- " धीरज शाह 2003
- " राजेश शर्मा 2004,
"सव्यसाची प्रमिला देवी अलंकरण " का रूप देते हुए निम्नानुसार प्रदत्त किये
- श्री गंगा चरण मिश्र 2005
- " गिरीश पांडे 2006
- " विजय तिवारी 2007
- '' श्री पंकज शाह 2008
इ-पत्रकारिता की प्रारम्भिक अवस्था ब्लागिंग को समीर लाल के बाद जबलपुर के सबसे पहले ब्लॉगर के रूप में बंद कमरे में बैठ कर दुनिया जहान को जबलपुर से रू-ब-रू कराने वाले महेंद्र मिश्र जी अब केवल ब्लॉगर है शासकीय सेवा से मुक्त हुए मिश्र जी अब शुद्ध ब्लॉगर हैं .