आज एक मेल देखा. वर्ल्ड विज़न www.worldvision.in मेल का स्नेपशाट देखिये
लाल रंग से रेखांकित लाइन के पढ़ते ही लगा जैसे कि देश में भयावह स्थिति आ गई जो वर्ल्ड विज़न के अलावा अन्य किसी के विज़न में नहीं हैं. एक स्थापित एन जी ओ के रूप में यह संस्थान प्रभावी कार्य भले कर रहा हो पर बच्चों के भूखे रहने के नाम पर स्पांसर शिप मांगना किस हद तक सही है. मेरी तरह की मेललिस्ट में कई देशी-विदेशी लोगों के पते होंगे जहां ये मेल पहुंच रहे होंगे. और लोग भारत में भूख की स्थिति पाए जाने की बात से सहमत हो गए होंगे तथा प्रेरित होकर स्पांसर-शिप के लिये तत्पर भी होंगे । मेरा खुला आग्रह है कि वर्ल्ड विज़न www.worldvision.in इस तरह के विज्ञापन तुरंत बंद कर सार्वजनिक रूप से खेद व्यक्त करे। इस संस्था ने कहीं भी अपना मेल पता वेब पर अंकित नहीं किया है. जो एक आपत्ति-जनक बिंदु है.
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प्रति
वर्ल्ड विज़न टीम
World Vision India
No. 16, VOC Main Road,
Kodambakkam, Chennai - 600
024.
हार्दिक-शुभकामनाएं
आपका ई संदेश मिला . आपके बाल कल्याण के लिये कार्य करने की सराहना अवश्य करता
हूं किंतु आपके द्वारा जो स्पांसरशिप के लिये संदेश दिया है घोर आपत्तिजनक है.
मेल संदेश के प्रारंभ में ही Feed a Hungry Child लिखा जाकर दान मांगना
सर्वथा ग़लत एवं भारत की छवि को धूमिल करना है. खासकर मध्य-प्रदेश सहित
भारत
में शायद ही कोई ऐसा प्रांत हो भूखे बच्चों वाली स्थिति होगी. भारत में बाल
विकास सेवाऎं, बाल-गृह, अनाथ बच्चों के लिये आश्रम संचालन हेतु अनुदान, शासकीय
तौर पर मुहैया कराए जाते हैं साथ ही विभिन्न धर्मों की धार्मिक, आध्यात्मिक
,
सामाजिक संस्थाएं बिना इस तरह के वाक्यों के सहारे कार्य कर रहें हैं. अगर आप
सर्वे करें तो निश्चित ही आप पाएंगे कि लाखों नागरिक बिना किसी प्रदर्शन के
बच्चों के लिए भोजन आवासीय शिक्षा आदि के लिये प्रायोजक भी हैं .मैंने अपने सार्वजनिक जीवन एवं सरकारी सेवा के कालखंड में आपके द्वारा इंगित स्थिति नहीं पाई है. आप के इस मेल से मुझे घोर आपत्ति है.
कृपया मेरी आहत भावना के प्रति सहिष्णुता पूर्वक नज़रिया रखिये.
सादर
अनवरत शुभ की कामनाओं के साथ
गिरीश बिल्लोरे "मुकुल"
स्वतंत्र-लेखक, विचारक, साहित्यकार