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अमर शहीद : शंकर शाह-रघुनाथ शाह - डाॅ. किशन कछवाहा

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    उर्दू भाषा में लिखे फैसले का हिन्दी में रूपान्तरण कचहरी अदालत फौजदार जबलपुर। (मुकदमा-ए-बगावत सिलसिले शंकर शाह व रघुनाथ शाह व दीगर मुद्दई आलम मकसद हकीकत हाल 11 जुलाई 1857 पहली तहसीलदार, जबलपुर........... बगावत व कत्ल करने, विलायतियों को लूटने व खजाना शहर......... राजा शंकर शाह व रघुनाथ शाह को सजा-ए-मौत तकसीम की जाती है कि जिन्दा तोप से उड़ा दिया जाये।) ‘‘अपनी आराध्य गढ़ा- पुरवा स्थित कमलासनी माला देवी को अनुनय-विनय के साथ लिखा हुआ पत्र, जो ब्रिटिश शासन के स्थानीय कलेक्टर क्लार्क के हाथ लग गया था, मात्र इसी पत्र के आधार पर पिता-पुत्र शंकर शाह-रघुनाथ शाह को विद्रोह करने के अपराध में तोप के मुँह से बाँध कर उड़ा देने का दण्ड सुना दिया गया था। आराध्या श्री मालादेवी की प्रतिमा में माँ लक्ष्मी कमलासन पर विराजमान हैं। नीचे सिंह बैठा हुआ है, जिस पर देवी जी अपना एक पैर रखे हुये हैं। वहीं दूसरी ओर एक अन्य आकृति विद्यमान है।’’ गौंड राजाओं मदन शाह से लेकर शंकर शाह व रघुनाथ शाह की आराध्य श्री मालादेवी रहीं हैं। अपनी आराध्या देवी की वंदना करते हुये उन्होंने अंग्रेजों का दलन करने की