नारी : रहम की मोहताज नहीं, असीमित शक्तियों का भण्डार :रीता विश्वकर्मा
रीता विश्वकर्मा स्वतंत्र पत्रकार/सम्पादक www.rainbownews.in (ऑन लाइन हिन्दी न्यूज पोर्टल) ई-मेल- rainbow.news@rediffmail.com 8765552676 ए 9369006284 जिस तरह भक्त शिरोमणि हनुमान जी को उनकी अपार-शक्तियों के बारे में बताना पड़ता था और जब लोग समय-समय पर उनका यशोगान करते थे, तब-तब बजरंगबली को कोई भी कार्य करने में हिचक नहीं होती थी, भले ही वह कितना मुश्किल कार्य रहा हो जैसे सैकड़ो मील लम्बा समुद्र पार करना हो, या फिर धवलागिर पर्वत संजीवनी बूटी समेत लाना हो...आदि। ठीक उसी तरह वर्तमान परिदृश्य में नारी को इस बात का एहसास कराने की आवश्यकता है कि वह अबला नहीं अपितु सबला हैं। स्त्री आग और ज्वाला होने के साथ-साथ शीतल जल भी है। आदिकाल से लेकर वर्तमान तक ग्रन्थों का अध्ययन किया जाए तो पता चलता है कि हर स्त्री के भीतर बहुत सारी ऊर्जा और असीमित शक्तियाँ होती हैं, जिनके बारे में कई बार वो अनभिज्ञ रहती है। आज स्त्री को सिर्फ आवश्यकता है आत्मविश्वास की यदि उसने खुद के ‘बिलपावर’ को स्ट्राँग बना लिया तो कोई भी उसे रोक नहीं पाएगा। स्त्री को जरूरत है अपनी ऊर्जा, स्टैमिना, क्षमताओं