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मोहन भागवत जी का राष्ट्रीय चिन्तन राष्ट्र की अखण्डता का सन्देश

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राष्ट्रवाद की वकालत करना भाजपा और आरएसएस का महिमा-मंडित करना कह कर खारिज़ करने वालों के ज़ेहन में 30 दिसंबर 2017 को  संघ प्रधान श्रीयुत मोहन जी भागवत की अभिव्यक्ति के मायने निकालने होंगें . उनने अपनी इस ईमानदार अभिव्यक्ति में  हर मुद्दे पर गंभीरता से विमर्श किया है. वे कश्मीर को विकास पथ पर शेष भारत की तरह शामिल करने एवं विकास के लिए सकारात्मक वातावरण के निर्माण के लिए सरकारों (राज्य-एवं केन्द्रीय सरकार) को सलाह देते नज़र आए . संघ प्रमुख ने विकास के साथ साथ चुनौतियों का भी सटीक विश्लेष्ण किया. तथा रोहिंग्या के शरणार्थी, चतुर्दिक सीमाओं पर घुसपैठ एवं तस्करी पर चिंता व्यक्त की. श्री भागवत ने पाकिस्तान को अपना दुश्मन न कहते हुए यह कहा कि- पाकिस्तान हमें अपना दुश्मन मानता है. वास्तविकता इससे इतर भी तो नहीं है. रिम्पोचे को नमन करते हुए अपने भाषण का शुभारम्भ करते हुए स्वामी विवेकानंद  विश्वबंधुत्व के चिंतन को स्पर्श करते हुए "राष्ट्रीय दृष्टि" को आत्मसात करने के महत्व का आह्वान किया. भारतीय के इतिवृत की उपेक्षा के लिए  आरएसएस प्रधान ने कालोनाईज्ड ब्रेन की शुद्धिकरण का आह्वान क