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21.5.11

क्या करें हो ही गई ललित शर्मा जी से मुठभेड़


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कार्यक्रम वाले दिन यानी 30 अप्रैल 2011  अल्ल सुबह घर  से निकला किंगफ़िशर जनता फ़्लाईट में नाश्ता-वास्ता लिये  बिना सोचा था कि   उधर यान बालाएं खाने पीने को पूछेंगी ही सो  श्रीमति जी की एक न मानी. अब ताज़ा हसीन ताज़ा तरीन चेहरे वाली व्योम बालाओं  के हाथों से खाऊंगा सोचकर सतफ़ेरी अर्धांगिनी की न मानना महंगा पडेगा इस बात का मुझे इल्म न था. 

ट्राली लेकर पधारीं  दो लावण्य मयी व्योम-बालाओं  में से एक बोली : आप मीनू अनुसार आर्डर कीजिये 
वेज़ सेण्डविच..?
न, नहीं है सर 
तो साल्टी काज़ू ही दे दो काफ़ी भी देना, काफ़ी के साथ दो जोड़ा बिस्किट फ़्री मिले. 
नाश्ता आते आते पड़ोसी से दोस्ती हो गई थी. उनको गुज़रात जाना था. समीपस्थ  सिवनी नगर  के व्यापारी थे जो अपने जीजा जी के अत्यधिक बीमार होने की खबर सुन के रातों रात जबलपुर आए थे. यात्रा के दौरान पनपी मित्रता का आधार उनका पहली बार का विमान यात्री होना तो था मेरा आकर्षण वो इस कारण बने क्योंकि उनके पास तम्बाखू मिश्रित जबलपुरिया गुटखे का भण्डार पर्याप्त था. न भी होता तो मै मित्र अवश्य बना लेता ... बात चीत तो करनी ही थी.  
          नाश्ता करकुरा के हम दौनों ने पारस्परिक यात्रा प्रयोजनों के कारण की एक दूजे से पता साजी की फ़िर  सामयिक विषयों विषयों जैसे भ्रष्टाचार,मंहगाई, आदि पर संवाद किये. तभी एक संदेश गूंजा जिससे साबित हुआ दिल्ली दूर नहीं. 
       एयर पोर्ट पर वादा करके मियां महफ़ूज़ न आ सके कारण जो भी हो ललित बाबू की बात सही निकली कि "यात्रा में खुद पे भरोसा करो वादों पे नहीं !!" 

 
        (आगे इधर से यानी भारत-ब्रिगेड पर )

15.5.11

बिना छींटॆ-बौछार के रवि रतलामी जी एक समारोह में मुख्य अतिथि जबलपुर आए

अविनाश वाचस्पति
जे का हो गया कह रहे थे कि आप कनाट-प्लेस पे दूकान लेंगें
यह चित्र  राजे_शा  जी के ब्लाग पर है
उनका ब्लाग है "कौन कहता है हंसना मना है..?"
हैं  
मित्रो, मित्राणियो.. 
                 सब को हमारी राम राम वंचना जी . कल रात जब नेट खोला तो रवि रतलामी जी का मेल बांच के खुशी हुई.. समझ तो हम सवेरे ही गये थे जब गौर दादा जी ने अपनी मुंडेर वाला कौआ जो उनके घर की तरफ़ मुंह करके कांव कांव किये जा रहा था को डपट के भगा दिया. और वो कौआ हमारे घर पे आय के कांव कांव करने लगा. हम बोले श्रीमति जी से -’देखो, तुम्हारे मैके का संदेशा लेके आ गया ..!
श्रीमति जी किचिन से बोलीं- ”न, वो आपके किसी ब्लागर मित्र के आने की खबर लाया है. चाय पिओगे, नहा धो लो शनिवार की छुट्टी है हफ़्ते भर की....
अब बताओ भला , ऐसा बो्ल गईं गोया नहाना मेरा साप्ताहिक कार्यक्रम हो. हम चुप रहे सोचा सुबह से उलझे तो शाम तक पता नहीं का गत बने...?
खैर कन्फ़र्म हुआ कि रवि रतलामी ही की गाड़ी विलम्ब से किंतु जबलपुर आ ही गई. उस गाडी़ में बिना छींटॆ-बौछार के रवि भैया  एक समारोह में बतौर प्रशिक्षक एवम मुख्य अतिथि पधार चुके हैं. आपस में कानाफ़ूसी कर हमने टाईम सेट किया शाम चार बजे से साढ़े छै: बजे तक चले कार्यक्रम में हम शहीद-स्मारक प्रेक्षागार में  डाक्टर विजय तिवारी "किसलय" के साथ शामिल हुए जिसे  विजय जी ने अपने थ्री जी सेल फ़ोन से लाइव किया
और प्रोग्राम से फ़ारिग होके हम रवि जी का अपहरण आयोजकों की अनुमति सहमति से कर लिया. और फ़िर देखिये ये सब हुआ यहां

जबलपुर के अखबारों में छाए  रवि रतलामी जी "गिरीश बिल्लोरे का ब्लाग "पर कतरनें मौज़ूद हैं.

28.4.11

नाव गाड़ी का रिश्ता

पाकिस्तान में मिली ये तस्वीर नाव गाड़ी का रिश्ता  बयां कर रही है. यही  हक़ीकत है पाकिस्तान की हमेशा नाव पर गाड़ी होती है. नाव जो हमेशा डूबती-उतराती नज़र आती है.पर चल रही है परम आत्माओं के सहारे जो विश्व के हर हिस्से को हिला देने की जुगत में तत्पर.   अब तो जागो पाक़िस्तान ... विश्व को बता दो तुम भी नेक नियत देश हो... तुम्हारे दामन के दाग धोने के लिये इससे बेहतर वक़्त कब आएगा. तब जब विश्व एक बड़े सामाझिक परिवर्तन के लिये तत्त्पर है. 














एक रपट किसलय जी के सेलफ़ोन से 

2.2.11

कुछ चुनिन्दा वेबकास्ट


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11.12.10

वेबकास्ट अमृतस्यनर्मदा : लेखक अमृतलाल वेगड़



              
जबलपुर संस्कारधानी के लेखक,कलाकार,श्रीयुत अमृतलाल वेगड़ की कृति  अमृतस्यनर्मदा का वेब कास्ट सुधि साथियों के लिये सादर प्रस्तुत है .
Secret Chants: A Trip to IndiaIndia - A Trip to the Taj Mahal 

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...