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शुक्रवार, अक्टूबर 24, 2008

निर्मल ग्राम बनाने की कोशिश :पुरस्कार के लिए नहीं सोच बदलने की तैयारी


"निर्मल गाँव के आँगन वाड़ी केद्रों के लिए प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्य शाला संपन्न "

जबलपुर दिनांक 22/10/2008

जबलपुर विकास खंड के अंतर्गत नवीन प्रस्तावित निर्मल पंचायतों के 65 आँगनवाड़ी केन्द्रों के लिए आज एक दिवसीय प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्य शाला का आयोजन स्थानीय माखनलाल चतुर्वेदी सभागार में किया गया . कार्यशाला में प्रशिक्षण के दौरान आँगन वाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं किशोरियों के लिए कार्य निर्देश दिए गए . जिला पंचायत जबलपुर से उपस्थित श्री आशीष व्योहार ने बताया की जिन शासकीय भवनों में आँगन वाड़ी केन्द्र सचालित हैं तथा उनमें शौचालय निर्माण नहीं किए जा सके हैं उनके लिए एक सप्ताह में आवश्यक राशि जारी कर दी जावेगी .

निर्मल ग्राम बनाने के लिए समग्र रूप से समन्वय,जन जागरण,स्वच्छता बनाए रखने के उपाय,केन्द्र की आतंरिक एवं बाह्य स्वच्छता,तथा व्यक्तित्व विकास पर केंद्रित बिन्दुओं पर बाल विकास परियोजना अधिकारी गिरीश बिल्लोरे ,सुश्री माया मिश्रा,मीना बडकुल,नीलिमा दुबे, संध्या नेमा,जयंती अहिरवार,जीवन श्रीवास्तव,सरला कुशवाहा,उमा-निखरे ने विभिन्न विषयों पर जान कारी दी . बाल विकास परियोजना अधिकारी द्वारा बताया गया कि ग्राम पंचायत पहाडीखेडा की आँगनवाड़ी कार्यकर्ता गुलाब यादव जो पोलियो ग्रस्त हैं ने जन सहयोग तथा अपनी ओर कुछ राशि मिला कर शौचालय का प्रयास किया किंतु तब भी राशि अपर्याप्त होने पर सभी सेक्टर पर्यवेक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों ने मिल कर उनको राशिः उपलब्ध कराई गयी . कुमारी गुलाब ने शौचालय निर्माण का कार्य 2 दिनों में पूर्ण किया. उनके इस कार्य के लिए पुरुस्कृत करने हेतु प्रस्ताव भेजा जावेगा . परियोजना क्षेत्र में प्रस्तावित निर्मल ग्रामों में "किशोरी-क्लबों का गठन" किया जा रहा है जो समग्र स्वच्छता के कार्यों में सयोग करेंगी तथा स्वच्छता-संदेशों का प्रसार करेंगी .

नई-दुनियाँ जबलपुर में प्रकाशित समाचार"यहाँ"देखिए

  • गिरीश बिल्लोरे मुकुल

शनिवार, सितंबर 06, 2008

श्रीमती तारा काछी : पथ-प्रदर्शिका

ये आरती संजोई है उन बेटियों ने जो चाहतीं हैं कि उनसे उनका बचपन न छीन
ग्राम पंचायत तिलहरी,में मेरे विभाग की आँगनवाडी का कामकाज देखतीं हैं तारा काछी ,जो हमेशा अपने गाँव को ऊँचाइयों पर देखना और रखना चाहतीं हैं ....इस गाँव में शिशु,बाल,और मात्र मृत्यु की डर पिछले कई वर्षों से शून्य पर स्थिर है ...........हो भी क्यों न तारा जो है वहाँ
अपनी पर्यवेक्षक दीदी कुमारी माया मिश्रा से सलाह कर तारा ने इस बार बाल विवाह रोकने बेटियों से वो करवाया जो रक्षा-बंधन पर बहने अपने भाइयों के साथ करतीं हैं .जी हाँ ......रक्षा-सूत्र बंधन
बढ़ चढ़ कर हिस्सेदारी थी माताओं,बहनों बेटियों की
उत्सव सा था पूरे गाँव में
और बारी बारी से बेटियों ने अपनी माँ,दादी,बुआ,चाची,के हाथों में बाँध दी
"राखियाँ "
ये कहा
"मेरा,बचपन मत छीनना "
बाल विकास परियोजना बरगी में संचालित इस केन्द्र में गोद-भराई,जन्म-दिवस, की रस्में मनाई जातीं रहीं जिसे हू बहू हू विभाग ने पूरे प्रदेश में लागू कर दिया

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