जीवन की नहीं मृत्यु की तैयारी कीजिए.. जीवन तो वैसे ही संवर जाएगा..!
जीवन की नहीं मृत्यु की तैयारी कीजिए.. जीवन तो वैसे ही संवर जाएगा? यह एक आश्चर्यजनक तथ्य होगा कि आप को यह सुझाव दिया जाए कि जीने की नहीं मृत्यु की तैयारी कीजिए ऐसी स्थिति में आप सुझाव देने वाले को मूर्खता का महान केंद्र तुरंत मान लेंगे। परंतु आप यह भली प्रकार जानते हैं कि-"जीवन जिस दिशा की ओर बढ़ता है उस दिशा में ऐसा बिंदु है जहां आपको आखिरी सांस मिलती है" है या नहीं इसका निर्णय आप आसानी से कर लेते हैं। सनातनी दर्शन मृत्यु के पश्चात के समय को एक संस्कार के तौर पर मान्यता प्राप्त है और हम उसे एक्ज़ीक्यूटिव करते हैं । लेकिन अगर कोई व्यक्ति मरणासन्न हो तो उसके लिए केवल ईश्वरीय सत्ता से प्रार्थना के अलावा कुछ शेष नहीं रहता। सभी लोग जानते हैं कि यह शाश्वत सत्य है अटल भी है जितना शाश्वत जीवन है उतनी ही शाश्वत मरना। इस अटल सत्य को कोई मिटा नहीं सकता है, स्वयं राम कृष्ण और महान ऋषियों, पैगंबरों ने भी इस सत्य को स्वीकार्य किया । आपको याद होगा अरस्तु ने जब जहर का प्याला पिया तो भी निर्वेद और शांत थे। प्रभु यीशु ने भी सलीब को परमपिता परमेश्वर का निर्णय माना और पौराणिक मान्य