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जयप्रकाश जी अन्ना हज़ारे और मध्यम वर्ग

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                         हमेशा की तरह एक बार फ़िर मध्यम वर्ग ने किसी हुंकार में हामी भरी और एक तस्वीर बदल देने की कवायद नज़र आने जगी. इस बात पर विचार करने के पूर्व दो बातों  पर विचार करना आवश्यक हो गया है कि जय प्रकाश जी के बाद पहली बार युवा जागरण में सफ़ल रहे. .अन्ना हजारे ? क्या अन्ना के पास कोई फ़लसफ़ा नहीं है..?                  पहला सवाल पर मेरी तो बिलकुल हां  ही मानिये. अधिक या कम की बात मत कीजिये दौनों के पास जितनी भी जन-सहभागिता है उसकी तुलना गैर ज़रूरी ही है. आपातकाल के पूर्व   जय प्रकाश जी   का आव्हान गांव गांव तक फ़ैला था. आज़ भी वही स्थिति है. तब तो संचार क्रांति भी न थी फ़िर.. फ़िर क्या क्या आज़ादी जैसी सफ़लता में किसी फ़ेसबुकिया पोस्ट की कोई भूमिका थी ? न नहीं थी तो क्या होता है कि एक आव्हान होता है और जनता खासकर  युवा उसके पीछे हो जाते हैं... ? यहां उस आव्हान  के  विजन की ताक़त की सराहना करनी चाहिये. जो  सबको आकर्षित कर लेने की जो लोकनायक में थी. अन्ना में भी है परंतु विशिष्ठ जन मानते हैं कि लोकनायक के पास विचारधारा थी..जिसे  सम्पूर्ण क्रांति  कहा   जिसमें युवा