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सोमवार, अप्रैल 19, 2010

माचिस की तीली के ऊपर बिटिया की पलती आग:भाग तीन [पाड्कास्ट में]

सुधि  श्रोतागण एवम पाठक/पाठिका गिरीश का हार्दिक अभिवादन स्वीकारिये आज़ मैने किसी का साक्षात्कार रिकार्ड नहीं किया अपनी ही आवाज़ में अपने सबसे लम्बे गीत के वे अंश प्रस्तुत कर रहा हूं जो बाह्य और अंतस की आग को चित्रिर करतें हैं सफ़ल हूं या असफ़ल फ़ैसला आप सुधिजनों के हाथ है...........
इसे सुनिये =>


अथवा पढिये =>
माचिस की तीली के ऊपर बिटिया की से पलती आग
यौवन की दहलीज़ को पाके बनती संज्ञा जलती आग .
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एक शहर एक दावानल ने निगला नाते चूर हुए
मिलने वाले दिल बेबस थे अगुओं से मज़बूर हुए
झुलसा नगर खाक हुए दिल रोयाँ रोयाँ छलकी आग !
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युगदृष्टा से पूछ बावरे, पल-परिणाम युगों ने भोगा
महारथी भी बाद युद्ध के शोक हीन कहाँ तक होगा
हाँ अशोक भी शोकमग्न था,बुद्धं शरणम हलकी आग !
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सुनो सियासी हथकंडे सब, जान रहे पहचान रहे
इतना मत करना धरती पे , ज़िंदा न-ईमान रहे !
अपने दिल में बस इस भय की सुनो सियासी-पलती आग ?
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तुमने मेरे मन में बस के , जीवन को इक मोड़ दिया.
मेरा नाता चुभन तपन से , अनजाने ही जोड़ दिया
तुलना कुंठा वृत्ति धाय से, इर्षा पलती बनती आग !
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रेत भरी चलनी में उसने,चला सपन का महल बनाने
अंजुरी भर तालाब हाथ ले,कोशिश देखो कँवल उगा लें
दोष ज़हाँ पर डाल रही अंगुली आज उगलती आग !!

शुक्रवार, मई 30, 2008

हिन्दयुग्म का पड़ाव ...!!

पहली कविता को छापने का जोखिम उठा कर काव्य-पल्लवन सामूहिक कविता-लेखन विषय-चयन किया है :-अवनीश गौतम जी ने । तारीफ देखे पहली कविता की प्रविष्ठियाँ चार भागों में छापनी पडी ...... वाह...!....वाह...!!

हिन्द-युग्म

जोखिम भरे काम करने वालों के लिए सराहना ज़रूरी है ......!!

प्रथम भाग में

ममता पंडित दिव्य प्रकाश दुबे सुमित भारद्वाज सीमा सचदेव अजीत पांडेय समीर गुप्ता प्रेमचंद सहजवाला पावस नीर रचना श्रीवास्तव लवली कुमारी हरिहर झा राहुल चौहान सतपाल ख्याल पीयूष तिवारी आलोक सिंह "साहिल" अर्चना शर्मा रंजना भाटिया सजीव सारथी विपुल कमलप्रीत सिंह

दूसरे भाग में

सविता दत्ता शोभा महेन्द्रू देवेन्द्र कुमार मिश्रा महक डॉ॰ शीला सिंह गोविंद शर्मा रश्मि सिंह अभिषेक पाटनी अवनीश तिवारी विजयशंकर चतुर्वेदी आदित्य प्रताप सिंह डा. आशुतोष शुक्ला अमित अरुण साहू रेनू जैन सुरिन्दर रत्ती मंजू भटनागर शिवानी सिंह श्रीकान्त मिश्र 'कान्त' अमिता 'नीर' कु० स्मिता पाण्डेय

तीसरे भाग में

देवेंद्र पांडेय डा. रमा द्विवेदी अशरफ अली "रिंद" ममता गुप्ता रजत बख्शी राजिंदर कुशवाहा गरिमा तिवारी विनय के जोशी डा0 अनिल चड्डा यश छाबड़ा कवि कुलवंत सिंह एस. कुमार शर्मा मीनाक्षी धनवंतरि शुभाशीष पाण्डेय शिफ़ाली पूजा अनिल अविनाश वाचस्‍पति निखिल सचन सोमेश्वर पांडेय सुनील कुमार सोनू

और ताज़ातरीन चौथे भाग में *** प्रतिभागी रहे

राकेश खंडेलवाल सीमा गुप्ता सतीश वाघमारे संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी ब्रह्मनाथ त्रिपाठी 'अंजान' मैत्रेयी बनर्जी सतीश सक्सेना विवेक रंजन श्रीवास्तव "विनम्र" आशा जोगळेकर राहुल गडेवाडिकर मधुरिमा कुसुम सिन्हा महेंद्र भटनागर शैलेश भारतवासी मनीष वंदेमातरम स्वाति पांडे तपन शर्मा गोविन्द शर्मा डॉ॰ एस के मित्तल राजीव तनेजा

यानी कुल अस्सी कवितायेँ जमा हुई किसी अखबार को भी इतनी रीडर शिप और पार्टिशिपेशन कविता के मामले में कम ही मिलता है। किसे नामज़द बधाई दूँ ........मेरी समझ में नहीं आ रहा है

केवल इतना कह पा रहा हूँ

बधाइयां

हिंद-युग्म

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