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गुरुवार, जनवरी 20, 2011

ब्लॉग एक नया अखबार है जो अखबारों की पतनशील चुप्पी, उसकी विचारहीनता, उसकी स्थानीयता, सनसनी और बाजारु तालमेल के खिलाफ हमारी क्षतिपूर्ति करता है : श्री ज्ञानरंजन

' श्री ज्ञानरंजन ''का मानना है :-"समीर लाल, एक बड़े और निर्माता ब्लॉगर के रुप में जाने जाते हैं. मेरा इस  दुनिया से परिचय कम है. रुचि भी कम है. मैं इस नई दुनिया को हूबहू और जस का  तस स्वीकार नहीं करता. अगर विचारधारा के अंत को स्वीकार भी कर लें, तो भी  विचार कल्पना, अन्वेषण, कविता, सौंदर्य, इतिहास की दुनिया की एक डिज़ाइन  हमारे पास है. यह हमारा मानक है, हमारी स्लेट भरी हुई है. मेरे लिए काबुल के खंडहरों के बीच एक छोटी सी बची हुई किताब की दुकान आज भी रोमांचकारी है. मेरे लिए यह भी एक रोमांचकारी खबर है कि अपना नया काम करने के लिए विख्यात लेखक मारक्वेज़ ने अपना पुराना टाइपराईटर निकाल लिया है. कहना यह है कि समीर लाल ने जब यह उपन्यास लिखा, या अपनी कविताएं तो उन्हें एक ऐसे संसार में आना पड़ा जो न तो समाप्त हुआ है, न खस्ताहाल है, न उसकी विदाई हो रही है. इस किताब का, जो नावलेट की शक्ल में लिखा गया है, इसके शब्दों का, इसकी लिपि के छापे का संसार में कोई विकल्प नहीं है. यहां बतायें कि ब्लॉग और पुस्तक के बीच कोई टकराहट नहीं है. दोनों भिन्न मार्ग हैं, दोनों एक दूसरे को निगल नहीं सकते. मुझे लगता है कि ब्लॉग एक नया अखबार है जो अखबारों की पतनशील चुप्पी, उसकी विचारहीनता, उसकी स्थानीयता, सनसनी और बाजारु तालमेल के खिलाफ हमारी क्षतिपूर्ति करता है, या कर सकता है. ब्लॉग इसके अलावा तेज है, तत्पर है, नूतन है, सूचनापरक है, निजी तरफदारियों का परिचय देता है पर वह भी कंज्यूम होता है.  अपनी अभिव्यक्ति में ' प्रोफ़ेसर ज्ञानरंजन ने एकदम सटीक और सामयिक परिभाषा दी है ब्लाग को. इतनी बेबाक़ एवम सहृदय टिप्पणी आज़ तक सामान्य रूप से देखने को सुनने को मुझे तो नहीं मिली. बेशक हिन्दी ब्लागिंग के लिये उनकी दी हुई यह परिभाषा नई बहस की जनक होगी यह तय है, अखबारों के लिये भी चिंतन का विषय है. मेरी दृष्टि में ज्ञानरंजन जी समझा रहे हैं "साहित्य की अन्य किसी भी विधा के सापेक्ष प्रेस से सीधे मुक़ाबिल हो रहा है ब्लॉग" 
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आप सुन सकतें है
 
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कृति विमोचन पर शेष रपट कल की पोस्ट में

रविवार, फ़रवरी 08, 2009

ब्लॉग-पार्लियामेन्ट की जुगत ज़मने लगी है:

ब्लॉग जगत अब प्रजातान्त्रिक-सूत्र में पिरोया जाने वाला है। इसकी कवायद कई दिनों से फुनिया फुनिया के कई दिनों से जारी थी. सूत्रों ने बताया इस के लिए आभासी-संविधान की संरचना के प्रयास युद्ध स्तर पर जारी हैं . बताया जाता है की जिस शहर में सर्वाधिक ब्लॉगर होंगे उसे "ब्लागधानी "बना दिया जाएगा . ब्लॉग'स में प्रान्त/भाषा/जाति/वरन/वर्ग/आयु का कोई भेदभाव नहीं होगा . कुन्नू सिंह की अध्यक्षता में बनने वाली ब्लॉग-संविधान की संरचना की जानी लभग तय है. जिसके प्रावधानों में निहित होगी ब्लॉग-सरकार की व्यवस्थाएं .अंतरिम-सरकार के सम्बन्ध में अनाधिकृत जानकारी के अनुसार एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाना है जिसका संघीय स्वरुप होगा . तथा शासनाध्यक्ष /मंत्रालय की निम्नानुसार व्यवस्था प्रस्तावित होगी :-
  1. ब्लागाध्यक्ष: एक पद
  2. प्रधान-ब्लॉग-मंत्री
  3. अन्तर-राष्ट्रीय मामलों के मंत्री
  4. कायदा-मंत्री
  5. टिप्पणी-मंत्री
  6. प्रति-टिप्पणी मंत्री
  7. गुम-नाम टिप्पणी प्रतिषेध-मानती
  8. बिन-पडी पोस्ट टिपियाना मंत्री
  9. नारी-ब्लॉग मंत्री
  10. राजनीतिक /धर्म/संस्कृति/तकनीकी सहित उतने मंत्री होंगें जितने विषयों पर ब्लॉग लिखे जा रहें हैं।
इस सबके लिए गूगल बाबा से भरपूर मदद के आश्वासनों से बारे जहाज उड़नतश्तरी के पीछे-पीछे जबालिपुरम के तेवर नामक स्थान पर आराम से उतर गए हैं । फुर्सत मिलते ही फ़ुरसतिया जी रवि रतलामी जी के अलावा नीचे लिखी सूची में दर्ज ब्लॉग मालिक आने वाले है .......
40. आवाज़
इस चालीसा के अलावा १०० से अधिक बिलागर जबलपुर के ही होंगे अभी 20-25 हैं मार्च के बाद 100 से अधिक होंगे
"बोलो नर्मदा में की जय हर-हर नर्मदे "

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