विक्रम संवत 2079 के शुभ आगमन पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई
महाराजा विक्रमादित्य के नाम पर स्थापित सनातनी नव वर्ष में भारत का प्रवेश आज अंग्रेजी कैलेंडर दिनांक 2 अप्रैल 2022 से हो चुका है।
चैत्र नवरात्र भी आज से प्रारंभ है । आज हम साक्षात मां पार्वती अर्थात शैलपुत्री के स्मरण मैं अपना दिवस बिता रहे हैं। भारतीय सनातन परंपरा में नारी को समानता का ही अधिकार नहीं है बल्कि श्रेष्ठता प्रदान की गई है । पौराणिक मान्यताओं एवं पुराणों में लिखित तथ्यों के आधार पर अरुणाभ वस्त्र धारी मां शैलपुत्री को बेल पर विराजित ऐसी दिव्य तेजस्वी मां के रूप में दर्शित किया गया है जिनके एक हाथ में कमल और दूसरे हाथ में त्रिशूल होता है। कमल भारतीय संस्कृति और दर्शन में महत्वपूर्ण पुष्प है। अगर इसके भावार्थ को समझा जाए तो यह पोस्ट दर्शन अध्यात्म जीवन दर्शन एवं ज्ञान का प्रतीक है। कमल की निकले भाग को मृणाल कहते हैं। दूसरी ओर माता शैलपुत्री जो वस्तुतः हिमालय की पुत्री मानी जाती हैं या हिमालय की पुत्री के रूप में परिभाषित हैं, के हाथ में त्रिशूल दिखाई देता है। अर्थात ज्ञान वन होना और दुष्ट दलन का अधिकार भारत की हर स्त्री को भारतीय जीवन दर्शन में सम्मिलित किया गया है।
मां शैलपुत्री अपने वाहन के रूप में वृषभ यानी बैल को उपयोग में लाते हैं। इसका अर्थ यह है कि वह पशु संवर्धन के प्रति निष्ठावान हैं। कृषि प्रधान भारत में बैल का अपना महत्व है। जिसे आप हम सब भली प्रकार जानते हैं। मां पार्वती अर्थात शैलपुत्री शिव की पत्नी हैं. सुधी पाठकों आप सभी को चैत्र प्रतिपदा नव वर्ष विक्रम 2079 की हार्दिक शुभकामनाएं और साधना पर्व चैत्र नवरात्र आध्यात्मिक उन्नति के लिए शत शत नमन
गिरीश बिल्लौरे "मुकुल"
कृतिकार
भारतीय मानव सभ्यता एवं
संस्कृति के प्रवेश द्वार 1
6000 ईसा पूर्व
Bhartiya Manav Sabhyta Evam Sanskriti Ke Pravesh Dwaar: 16000 Isa Purva ( भारतीय मानव–सभ्यता एवं संस्कृति के प्रवेशद्वार : 16000 ईसा पूर्व )