Ad

माँ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
माँ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, जुलाई 30, 2016

सर्वदा होती हो तुम माँ

सर्वदा  होती हो तुम माँ
हाँ
भाव के प्रभाव में नहीं
वरन सत्य है मेरा चिंतन
तुम सदा माँ हो ... माँ हो माँ  हो
तुम .... विराट दर्शन कराती हो कृष्ण को
क्योंकि तुम खुद विराट हो...
विराट दर्शाना माँ
जब किसी माँ को
स्तनपान कराते देखता हूँ
तो रोमांचित हो अपलक देखता ही रह जाता हूँ..
सव्यसाची तुम बहुत याद आती हो ........
पूरे विश्व शिशु को
क्षुधा मिटाती माँ
तुम्हारी शत-शत वन्दना क्यों न करूँ ?
सुहाती नहीं है कोई वर्जना
तुम अहर्निश करती जो अमिय-सर्जना
माँ
सोचता हूँ

विराट तुम ही है.. 

गुरुवार, मार्च 12, 2015

माँ तुम्हारी मृदुल मुस्कान

माँ तुम्हारी मृदुल मुस्कान 
अनवरत प्रवाहित 
आस्थामयी रेवा की धार सी 
रोमांचित कर गई मुझे 
तब हलक तक पीर उभरी 
याद आए वो पल जब 
अस्थिकलश  से 
अपनी माँ के
फूल रेवा में प्रवाहित किए थे 
तब लगा था अब न मिलेगीं वो 
पर आज तुमको अपनी बेटी 
जिसे तुमने नाम "टिया"
के साथ देख मुझे मेरे सव्यसाची माँ बहुत याद आई 
 
प्रणाम नमन माँ 
तुम जो अक्सर मिल जाती हो मुझे 
सड़क पर चौराहे पर दो राहे पर 
किसी न किसी रूप में .....
बाल भवन में जब शिप्रा 
दिव्यचक्षु बेटियों को करातीं हैं 
कण्ठ  साधना 
तब तुम मुझे 
सुनाई देतीं हो 
शिव-महिम्न स्त्रोतम का सस्वर गान  करती हुईं 
तब जब रेणु भरती हैं शक्तिरूपा में रंग 
तब तुम्ही नज़र आती हो न 
जिरोती में रंग भरती हुईं......
माँ 
तुम्हारा जाना असह्य था है रहेगा 
फिर भी खोजता हूँ 
हर नारी में तुमको 
  तुम मिल भी जाती हो ...... कितनी सहज हो न माँ
 मुझे मालूम है माँ कभी भी मरती ही नहीं   ज़िंदा रहती है ..................
  उसे तुम मारते हो रोज़ यातनाओं से 
  सड़क पर चौराहे पर दो राहे पर 
   एक बार खंजर लेकर आओ 
  मेरे आँखें निकाल अपनी आँखों पर लगाओ 
   तुमको रोजिन्ना दिखेगी तुम्हारी माँ 
               ::::::::::::::::::: गिरीश बिल्लोरे "मुकुल"::::::::::::  

शनिवार, मार्च 20, 2010

जाग उठा मातृत्व उसका अमिय-पान भी कराया उसने

रेखा श्रीवास्तव जी की कहानी उनके ब्लॉग यथार्थ पर अमृत  की  बूंदे  पढ़कर  मन के एक कोने में  छिपी कहानी उभर आई ..यह कथा बरसों से मन के कोने में .छिपी थी  उसे  आज आप-सबसे  शेयर कर रहा हूँ.
दुनियाँ भर की सारी बातें फ़िज़ूल हैं कुछ भी श्रेष्ठ नज़र नहीं आती जब आप पुरुष के रूप में शमशान में अंतिम विदा दे रहे होते हैं....... तब आप सारी कायनात  को एक न्यायाधीश की नज़र से देखते हैं खुद को भी अच्छे बुरे का ज्ञान तभी होता है . और नारी को अपनी  श्रेष्टता-का अहसास भी तब होता है जब वह माँ बनके मातृत्व-धारित करती है. कुल मिला कर बस यही फर्क है स्त्री-पुरुष में वर्ना सब बराबर है हाँ तो वाकया उस माँ का है जो परिस्थित वश एक ही साल में दूसरी बार माँ बन जाती है कृशकाय माँ पहली संतान के जन्म के ठीक नौ माह बाद फिर प्रसव का बोझ न उठा सकी. और उसने  विदा ले ही ली इस दुनिया से . पचपन बरस की विधवा दादी के सर दो नन्हे-मुन्ने बच्चों की ज़वाब देही ...........उम्र के इस पड़ाव पर कोई भी स्त्री कितनी अकेली हो जाती है इसका अंदाजा सभी लगा सकते हैं किन्तु ममतामयी देवी में मातृत्व कभी ख़त्म नहीं होता. उस स्त्री का मातृत्व भाव दूने वेग से उभरा. मध्यम आय वर्गीय परिवार की महिला एक दिन जब नवजात बच्चे को लेकर डाक्टर के पास गई तो डाक्टर ने उसे सलाह दी कि पूरे चार  माह एक्सक्लूजिव-ब्रीस्ट-फीडिंग पर रखवाईये कोई बाहरी आहार नहीं वरना बच्चे को नुकसान होगा बार बार इसी तरह बीमार होता रहेगा. इस सवाल का हल उस महिला के पास कहाँ. बस भीगी आँखों से टकटकी लगाए पीडियाट्रीशियन  को देखती रही. फीस दी और घर आ गयी. शिशु के जीवन को बचाने की ललक रात को भूख से बिलखते बच्चे को कैसे संतुष्ट करे बार बार डाक्टर की नसीहत याद आती थी. देर तक कभी शिशु को दुलारती पुचकारती एक बार फिर नव-प्रसूता-धात्री माँ बन जाने की ईश्वर से प्रार्थना करती कभी कोरें भिगोती. कभी अकुलाती. व्याकुल आकुल सी वो माँ एक पल के लिए भी ना सो सकी..... तीस बरस पहले के दिन याद करती उन्हीं दिनों को वापस देने ईश्वर से याचना करती उस ममतामयी  की झपकी लगी तब सारे लोग एक बार झपकी ज़रूर लेते है हैं हाँ वो समय रहा होगा सुबह सकारे ४ से ५ बजे का. अचानक उसने शिशु के मुंह  से  अमिय-पात्र लगा दिया. सुबह सवेरे देर आठ बजे जागी वो माँ बन चुकी थी. उसे लगा सच मैं वो माँ है उसे अमृत-आने लगा है . दूध की धार बह निकली अमिय पात्रों से ............उसने   पूरे चार  माह एक्सक्लूजिव-ब्रीस्ट-फीडिंग कराई शिशु को अन्न-प्राशन के दिन अपने भाई को बुलाया. चंडी के चम्मच   से पसनी की गई शिशु की ...... आपको यकीं नहीं होगा किन्तु यह सत्य है इसका प्रमाण दे सकता हूँ फिर कभी ........

गुरुवार, अक्टूबर 09, 2008

ऐ माँ तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी




मूवी मेकर से आज पहली वीडियो टेस्ट पोस्ट तैयार की है स्टिल फोटो कलेक्शन से तैयार कराने की कोशिश की है
आपका आशीर्वाद ज़रूरी है । इस पोस्ट पर मार्गदर्शन सुधार के लिए ज़रूरी है सनाम टिप्पणियाँ स्वागत योग्य होंगीं

शुक्रवार, अगस्त 15, 2008

माँ....तुझे प्रणाम...माँ तुझे सलाम


<a href=
अभिनव बिंद्रा, की कोशिश से स्वर्ण किरण ,मेरे आँगन में बिखरीं ,
और वो जो -वो पैरों से नहीं हौसलों से चलता है !"
जी हाँ वो जो तारे जमीं पर, ले आता है .....जी हाँ वो जीमज़दूर है किसान है
जी हाँ वही जो आभास -दिलाता है सुइश्मीत , सी यादें जो पलकों,की किनोरें भिगो देतीं हैं उन सबको मेरा सलाम
माँ तुझे प्रणाम माँ तुझे सलाम

शनिवार, जून 28, 2008

जिंदगी मुझे मंजूर है....!

ज़िंदगी मुझे मंज़ूर है
तुझे खोजना कूड़े-करकट के ढेर में
ढेर में छिपी पन्नियों में.....!
और
और
उन बीमारियों में जो मिलेगी मुझे इस कूड़े में.....?
ज़िंदगी
यहीं से मिलेगी वे पन्नियाँ
जिनसे उगेगी रोटियाँ
रोटियाँ जो पेट भरेंगी मेरी उस माँ का
जिसने फुटपाथ पे मुझे जना था।
वो माँ जो अलग-अलग पुरुषों
को मेरा बाप बताती थी !
हाँ वही माँ जिसकी बेटियाँ दस बरस के बाद कभी
साथ न रही
जी हाँ !
वही माँ जो ममता
भरी आंखों से मुझे टक-टकी बांधे
निहारती जब टक मैं घर नहीं लौटता ।
वो माँ जो मेरी भगवान है
जिसे दुनियाँ से कोई शिकायत नहीं

रविवार, मई 11, 2008

टोरोंटो , ओंटारियो अराइव्ड फ्राम ब्लागवाणी .कॉम ऑन

FEEDJIT लाइव ट्रैफिक फीड,पर Toronto, Ontario arrived from blogvani.com on तो समझ लीजिए उडन तश्तरी ...., के हाथों आप पकड़ लिए गए , यानी भाई समीर लाल सबको बांचते हैं...?
जी सही है वो सबको पढ़्तें हैं। जबलपुर : मध्य प्रदेश ऐसी जगह है जहाँ संस्कार उगतें हैं और छा जातें हैं विश्व पर ।
भाई समीर जी आज मातृदिवस -पर सव्यसाची माँ प्रमिला देवी जो कहानी कहते-कहते सो गयी माँ .....?
को याद ही कर पा रहा हूँ ....
सभी औरतें जो माँ बनतीं हैं सच ईश्वर से कम होतीं भी नहीं हैं.....
दुनिया रचने वाली माँ , तुमको शत शत नमन

Ad

यह ब्लॉग खोजें

मिसफिट : हिंदी के श्रेष्ठ ब्लॉगस में