"गिद्ध रहें न रहें गिद्धियत शेष रहेगी...!!"
sachin sharma ने कहा 80 लाख थे, 10 हजार रह गए!भईया इनकी जनरेशन की अब कोई ज़रूरत नहीं हैं । आदम जात में इनकी प्रवृत्ति ज़िंदा रहेगी ही । मौत बनते राजमार्ग! भी सच है राज के रास्ते चलते लोगों की आत्म-सम्मान,संवेदना,ईमान,सब कुछ मर जाता है । ज़िंदा रहती है केवल लिप्सा । लाशों के ढेर पर "राज" निति की बुनियाद इक एतिहासिक सत्य है। इब्ने-इन्साँ ने खूब कहा - " अपनी ज़ुबां से कुछ न कहेंगे चुप ही रहेंगे आशिक़ लोग, तुम से तो इतना हो सकता है पूछो हाल बेचारों का " SUYOG PATHAK ने गया उदय प्रकश जी का गीत स्वयम में ब्रह्म का एहसास दिलाता है।